
श्रावण मास के अंतिम सोमवार को धार शहर श्रद्धा और आस्था के रंग में रंग गया। इंद्रदेव की रिमझिम फुहारों के बीच भगवान धारनाथ की शाही पालकी नगर भ्रमण पर निकली तो शहर की गलियों से लेकर मंदिर परिसर तक जय धारनाथ बाबा के जयघोष गूंज उठे। सैकड़ों साल पुरानी यह परंपरा इस बार भी पूरे वैभव और उत्साह के साथ मनाई गई।
गाजे-बाजे और भक्ति के बीच हुई शुरुआत
सोमवार दोपहर 4 बजकर 15 मिनट पर धारेश्वर महादेव मंदिर से भगवान शिव का पवित्र मुखौटा पालकी में विराजमान कर छबिना यात्रा का शुभारंभ हुआ। माझी समाज के युवाओं ने परंपरा अनुसार कंधों पर पालकी उठाई और मार्ग में भक्त झाड़ू लगाते हुए चलते रहे। नगर के प्रमुख मार्गों पर भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं।
समारोह में डमरू की थाप, झांज-मंजीरे और भजनों की धुन ने धार्मिक वातावरण बना दिया। “बम लहरी बाबा बम लहरी…” और “तेरे जैसा यार…” जैसे भजनों पर श्रद्धालु झूमते नजर आए। इस दौरान विधायक नीना वर्मा, कलेक्टर प्रियंक मिश्रा और एसपी मनोजकुमार सिंह ने पालकी यात्रा में शामिल होकर भगवान का पूजन-अर्चन किया। पुलिस बल की टुकड़ियों ने पालकी को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया।
सुरक्षा और व्यवस्था पर रहा जोर
भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए। 6 डीएसपी, 12 थाना प्रभारी और करीब 500 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई। संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त बल मौजूद रहा। पालकी यात्रा की सुरक्षा के लिए दो ड्रोन और सौ से अधिक कैमरों से निगरानी रखी गई। भीड़ प्रबंधन के लिए ट्रैफिक को डायवर्ट कर दिया गया, वहीं जगह-जगह स्वागत मंच बनाए गए। श्रद्धालुओं के लिए शरबत, केला, खिचड़ी और दूध का वितरण भी किया गया।
आकर्षण बनी झांकियां और अखाड़े
छबिना यात्रा में दो दर्जन से अधिक झांकियां और अखाड़े शामिल हुए। अधिकतर झांकियों का विषय शिव महिमा पर आधारित रहा। विशाल शिव प्रतिमा, मोहन टॉकीज से पिपलेश्वर महादेव की झांकी और एक्वा फ्रेंड्स क्लब की झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र बनीं। अखाड़ों ने अपने कौशल का प्रदर्शन कर लोगों का मनोरंजन किया।
परंपरा और बढ़ती भव्यता
धार का छबिना सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि ऐतिहासिक धरोहर भी है। राजा भोज के समय से चली आ रही यह परंपरा आज भी उतनी ही जीवंत है। पहले पालकी बैलगाड़ी और पत्तों से सजाई जाती थी, वहीं अब आधुनिक साज-सज्जा और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ इसका स्वरूप और भव्य हो गया है।