धार को मिलेगा अपना पहला मेडिकल कॉलेज, पीपीपी मॉडल से खुलेगा रास्ता, आदिवासी इलाकों को मिलेगा फायदा


धार में पीपीपी मॉडल पर बनेगा मेडिकल कॉलेज, 150 सीटें होंगी। आदिवासी क्षेत्रों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा, गरीबों को मिलेगा फ्री इलाज।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

धार जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर लंबे समय से चल रही मांग आखिरकार पूरी होने जा रही है। अब आदिवासी बहुल इस जिले को अपना पहला मेडिकल कॉलेज मिलने वाला है। खास बात यह है कि यह कॉलेज पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर बनेगा। शासन ने कॉलेज निर्माण की मंजूरी दे दी है और 260 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट का टेंडर भी जारी कर दिया गया है। कॉलेज का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है।

अब नहीं दौड़ना पड़ेगा इंदौर

धार और आसपास के ग्रामीण व आदिवासी इलाकों में रहने वाले लोगों को इलाज के लिए अब इंदौर जैसे बड़े शहरों की तरफ भागना नहीं पड़ेगा। धार शहर में ही अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का निर्माण किया जाएगा, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा सुधार होगा।

प्रदेश सरकार के लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से इस कॉलेज की मंजूरी दी गई है। कॉलेज को 25 एकड़ ज़मीन पर बनाया जाएगा, जो आरटीओ रोड स्थित शासकीय भूमि है। इस ज़मीन पर पहले से बाउंड्रीवाल का निर्माण किया जा चुका है, जिसकी लागत करीब 3 करोड़ रुपये रही। यह कार्य मई 2024 में भवन विकास निगम द्वारा शुरू किया गया था।

150 एमबीबीएस सीटें, गरीबों के लिए आरक्षित होंगे 75% बेड

धार मेडिकल कॉलेज में 150 एमबीबीएस सीटें होंगी। अस्पताल की सेवाएं भी उसी परिसर से संचालित होंगी। खास बात यह है कि अस्पताल में 75 प्रतिशत बेड गरीब मरीजों के लिए आरक्षित होंगे, जहां आयुष्मान कार्डधारकों को मुफ्त इलाज मिलेगा। शेष 25% सुविधाएं निजी एजेंसी द्वारा उपयोग की जाएंगी।

मेडिकल कॉलेज की फीस मध्यप्रदेश फीस विनियामक आयोग द्वारा तय की जाएगी, जिससे अधिकतम पारदर्शिता बनी रहे।

पर्यावरण की अनदेखी नहीं

कॉलेज निर्माण के दौरान पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर भी विशेष सावधानी बरती जा रही है। नगर एवं ग्राम निवेश विभाग ने कुछ खास शर्तें लगाई हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • तालाब के कैचमेंट एरिया से 30 मीटर दूर तक कोई निर्माण नहीं होगा।
  • कॉलेज से गुजरने वाले नाले से 9 मीटर क्षेत्र तक भूमि खाली रखी जाएगी।
  • सड़क के दोनों ओर 15-15 मीटर क्षेत्र निर्माण रहित रहेगा।
  • मौजूदा वृक्षों को यथासंभव संरक्षित रखा जाएगा। कटाई की स्थिति में वन विभाग की अनुमति अनिवार्य होगी।

इस ज़मीन का मास्टर प्लान में ‘संरक्षित’ कैटेगरी में होना एक समय पर बाधा बना था, जिसे अब बदलकर ‘सार्वजनिक उपयोग’ की श्रेणी में अधिसूचित कर दिया गया है। इससे निर्माण का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।


धार सहित 10 जिलों में होंगे नए कॉलेज

धार के साथ-साथ प्रदेश के अन्य नौ जिलों — कटनी, मुरैना, पन्ना, बालाघाट, भिंड, खरगोन, सीधी, टीकमगढ़ और बैतूल — में भी इसी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज बनाए जाएंगे। इन सभी स्थानों पर टेंडर प्रक्रिया 18 सितंबर को खुलेगी। सफल निविदाकार को निर्माण, संचालन, प्रबंधन व रख-रखाव की पूरी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।


क्या बोले जानकार

नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “इस पहल से प्रदेश में डॉक्टरों की कमी कम होगी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी। हालांकि इस मॉडल में यह सुनिश्चित करना जरूरी होगा कि गरीब मरीजों को कोई भेदभाव या अतिरिक्त आर्थिक बोझ न उठाना पड़े।”

पीपीपी मॉडल को लेकर पहले हुआ था विरोध

शुरुआत में जब पीपीपी मॉडल पर कॉलेज बनने की घोषणा हुई थी, तब कुछ स्थानीय संगठनों ने विरोध जताया था कि इससे आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। हालांकि अब सरकार ने नीति में संशोधन कर यह स्पष्ट किया है कि गरीबों पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा।

फिलहाल, भोपाल स्थित एक निजी मेडिकल कॉलेज ग्रुप को धार कॉलेज निर्माण का टेंडर सौंपा गया है। स्वास्थ्य विभाग के इंजीनियरों की टीम ने हाल ही में स्थल का निरीक्षण भी किया और निर्माण योग्य क्षेत्र का परीक्षण किया है।



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