धार में खुले सीवरेज चैंबर बना ‘मौत का बुलावा’, बारिश से पहले भी नहीं चेती नगर पालिका


धार शहर की सड़कों पर खुले सीवरेज चैंबर मानसून से पहले ही गंभीर हादसों को न्यौता दे रहे हैं। कलेक्टर रोड पर 37 से ज्यादा चैंबरों के ढक्कन नदारद हैं, लेकिन नगर पालिका अब तक बेखबर है।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

धार शहर की सड़कों पर मौत अब ढक्कन के इंतज़ार में बैठी है। बारिश की पहली बूंदें गिरने से पहले ही यहां के सीवरेज चैंबर हादसों को न्यौता दे रहे हैं। शहर के प्रमुख मार्ग—कलेक्टोरेट रोड, त्रिमूर्ति चौराहा और मांडू रोड पर सैकड़ों चैंबर या तो खुले हैं या उनकी हालत इतनी जर्जर है कि वे कभी भी किसी की ज़िंदगी लील सकते हैं।

 

सबसे ख़तरनाक इलाका: कलेक्टर रोड

कलेक्टर रोड पर स्थिति सबसे चिंताजनक है। इस मार्ग पर मौजूद 104 चैंबरों में से 37 चैंबरों के ढक्कन पूरी तरह गायब हैं। कुछ जगहों पर लोहे की जाली या फर्शी से काम चलाया जा रहा है, जो बारिश में फिसल सकती है। नगर पालिका की लापरवाही का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि इन चैंबरों की ऊंचाई और गहराई सड़क की सतह से मेल नहीं खाती, जिससे सड़क असमतल हो गई है और जोखिम और बढ़ गया है।

 

बारिश में ग़ायब हो जाएगा खतरा, लेकिन नहीं उसका असर

जैसे ही बारिश शुरू होगी, ये चैंबर पानी में पूरी तरह डूब जाएंगे। वाहन चालक और पैदल चलने वाले लोग समझ ही नहीं पाएंगे कि सड़क के नीचे एक गड्ढा मुंह बाए खड़ा है। यही वजह है कि हर साल देश के अलग-अलग शहरों में बारिश के दौरान खुले चैंबरों में गिरकर लोगों की जान जाती है।

वार्डों में भी बिखरा है मौत का जाल

त्रिमूर्ति चौराहे से लेकर मांडू रोड तक और शहर के विभिन्न वार्डों में ऐसे खुले या टूटे हुए चैंबरों की भरमार है। यहां सुबह-शाम टहलने वाले बुजुर्ग, बच्चों को स्कूल ले जाने वाले माता-पिता और दुपहिया वाहन चालक रोज़ इसी मौत के पास से गुजरते हैं।

 

शिकायतें बेअसर, जिम्मेदार बेखबर

स्थानीय नागरिकों ने कई बार नगर पालिका को शिकायतें भेजी हैं। कई लोगों ने तस्वीरें साझा कर हालात की गंभीरता भी बताई, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। यही कारण है कि लोगों में नाराज़गी और भय दोनों है।

 

नगर पालिका की सफाई: आश्वासन, लेकिन ज़मीनी हकीकत अलग

 

विकास डावर, मुख्य नगरपालिका अधिकारी, धार का कहना है,

 

 नालों की सफाई को लेकर विशेष अभियान शुरू किया गया है। जहां भी खुले चैंबर हैं, उन्हें ढंकने की कार्रवाई की जाएगी।

 

लेकिन ज़मीनी तस्वीर कुछ और ही कहती है। नगर पालिका की यह ‘कार्यवाही’ तब होगी जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा?



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