
जिलेभर में लंबे समय से थानों में जमे पुलिस कर्मचारियों पर आखिरकार गाज गिरनी शुरू हो गई है। प्रशासन ने पहले चरण में 121 पुलिसकर्मियों के तबादले किए हैं, जिनमें उपनिरीक्षक, एएसआई, प्रधान आरक्षक और आरक्षक शामिल हैं। यह कार्यवाही भाजपा संगठन द्वारा की गई शिकायत और नेताओं की नोटशीट के बाद संभव हो पाई। सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में थाना प्रभारियों (टीआई) की तबादला सूची भी जारी होने वाली है।
सालों से जमे थे कुछ चेहरे, अटैचमेंट बना “स्थायी नियुक्ति”
धार, नौगांव कोतवाली सहित कुछ थाने ऐसे हैं जहां पुलिस कर्मचारी सालों से अपनी जगह पर जमे हुए थे, कुछ तो ऐसे जिनकी नियुक्ति के बाद से अब तक कभी किसी दूसरे थाने की सीमा भी पार नहीं हुई। और जब किसी आदेश के तहत स्थानांतरण हुआ भी, तो “अटैचमेंट” के नाम पर कुछ ही समय में वापस लौट आए और वहीं स्थायी रूप से डटे रहे।
जानकारों का कहना है कि इन कर्मचारियों की पकड़ इतनी मजबूत हो गई थी कि वे थाना प्रभारी से भी ज़्यादा प्रभावशाली हो गए थे। इन कर्मचारियों ने या तो राजनीतिक संरक्षण पाया या फिर आंतरिक व्यवस्था में ऐसे धंस गए कि कोई भी आदेश केवल कागजों तक ही सीमित रह गया।
भाजपा संगठन की पहल बनी तबादलों की वजह
भाजपा संगठन को विभिन्न क्षेत्रों से थानों की कार्यप्रणाली और कुछ कर्मचारियों की दबंगई को लेकर शिकायतें मिली थीं। जनप्रतिनिधियों को भी शिकायतें लगातार मिल रही थीं कि कुछ पुलिसकर्मी पक्षपाती रवैया अपनाते हैं, जनता से ठीक व्यवहार नहीं करते, और अपने प्रभाव से थाने की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं। इसके बाद संगठन ने एक सूची तैयार कर प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के लिए भेजी। इसी आधार पर पहले चरण में बड़े पैमाने पर तबादले हुए हैं।
पुलिस अधीक्षक की कार्रवाई पर भी उठे सवाल
धार एसपी मनोज कुमार सिंह को प्रशासनिक रूप से सख्त माना जाता है, लेकिन कुछ थानों में सालों से जमे कर्मचारियों को लेकर कार्यवाही में ढील के आरोप लगते रहे हैं। कई पुलिसकर्मियों ने सरकारी नौकरी की आड़ में अपार संपत्ति अर्जित की है, जो अब आम चर्चा का विषय बन चुकी है।
कौन कहां से गया
तबादलों में धार, पीथमपुर, धरमपुरी, धामनोद, बाग, कुक्षी, बदनावर, टांडा, कानवन, नालछा, यातायात और अजाक थानों के पुलिसकर्मी शामिल हैं। कई तबादले कर्मचारियों की कमजोर कार्यप्रणाली, राजनीतिक शिकायतों और भीतरू समीकरणों के चलते किए गए हैं। यह भी सामने आया है कि कुछ पुलिसकर्मियों ने “स्वैच्छिक” तबादले दिखाकर खुद को बेहतर जगहों पर समायोजित करवाया है।
अगला पड़ाव: टीआई की सूची
सूत्रों की मानें तो अब अगला कदम थाना प्रभारियों की तबादला सूची है, जिसमें कमजोर प्रदर्शन, लंबे समय से एक ही थाना, या राजनीतिक शिकायतों में आए टीआई शामिल किए गए हैं। यह सूची पुलिस अधीक्षक द्वारा जल्द ही जारी की जाएगी।