
धार वन विभाग के विवादित रेंजर महेश कुमार अहिरवार को आखिरकार शहडोल स्थानांतरित कर दिया गया है। ग्रामीणों से मारपीट, बंदूक की धमकी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मामले को संज्ञान में लिया और तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। यह तबादला विभागीय तनाव, महिला द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप और विभागीय कार्यशैली को लेकर उठते सवालों की श्रृंखला का परिणाम है।
ग्रामीणों से विवाद और धमकी की शिकायत
दो दिन पूर्व की घटना में रेंजर अहिरवार पर आरोप लगा कि उन्होंने कुछ ग्रामीणों से न केवल अभद्रता की, बल्कि बंदूक दिखाकर जान से मारने की धमकी भी दी। यह घटना उस समय सामने आई जब मांडव, सरदारपुर और कुक्षी के आसपास लगातार जंगलों की अवैध कटाई की शिकायतें आ रही थीं। डीएफओ के निर्देश पर कटाई रोकने की कार्रवाई चल रही थी, फिर भी ज़मीन पर असर नहीं दिख रहा था।
महिला ने लगाए रिश्वत और अवैध पट्टों के आरोप
मामला तब और गंभीर हो गया जब एक महिला ने आरोप लगाए कि रेंजर और अन्य कर्मचारी 10-20 हजार रुपए लेकर जंगल की जमीन पर अवैध कटाई करवा रहे हैं और फिर उस ज़मीन को खेती के नाम पर पट्टा दिलवाया जा रहा है। यह स्पष्ट रूप से एक संगठित भ्रष्टाचार का संकेत था, जिससे विभाग की छवि बुरी तरह प्रभावित हुई।
वन विभाग की अंदरूनी खींचतान उजागर
सूत्रों के अनुसार, रेंजर और डिप्टी रेंजर के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा है। विभागीय समन्वय की कमी अब सतह पर आ चुकी है। एक ओर जहाँ अधिकारी वर्ग रेंजर के रसूख के कारण चुप रहते हैं, वहीं ग्रामीणों को आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
मुख्यमंत्री ने लिया तत्काल संज्ञान
लगातार मिल रही शिकायतों और महिला द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने खुद मामले को देखा और त्वरित निर्णय लेते हुए रेंजर अहिरवार को शहडोल स्थानांतरित कर दिया। यह निर्णय विभागीय साख को बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
अब भी अनुत्तरित हैं कई सवाल
हालांकि रेंजर का तबादला हो गया है, लेकिन महिला द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच अब तक अधूरी है। साथ ही विभाग के अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार, निरीक्षण के नाम पर घूसखोरी, और कर्मचारी-अधिकारियों के बीच जारी टकराव जैसी समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं। यदि इन पर जल्द ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो विभाग की विश्वसनीयता पर और गहरा सवाल उठ सकता है।