बारिश ने लौटाई रौनक, इस बार बढ़ेगा गेहूं का रकबा – रबी की तैयारी जोरों पर


सितंबर के अंत की बरसात से धार में रबी की बुवाई तेज़; 4.46 लाख हेक्टेयर में फसल, खाद की कमी बनी चुनौती। पूरा हाल और सुझाव पढ़ें।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

धार जिले में किसानों के चेहरों पर फिर से उम्मीद की चमक लौट आई है। जाते-जाते मानसून ने किसानों को वह बरसात दी जिसकी उन्हें लंबे समय से प्रतीक्षा थी। सितंबर के आख़िरी सप्ताह में हुई झमाझम बारिश ने खेतों में नमी भर दी है, जिससे आने वाले रबी सीजन की बुवाई को गति मिल गई है। इस बार जिले में गेहूं का रकबा बढ़ने की पूरी संभावना है, जबकि चने का क्षेत्रफल थोड़ा घट सकता है।

4 लाख 46 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई

कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार, इस बार धार जिले में करीब 4 लाख 46 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई होगी। इनमें सबसे अधिक क्षेत्र 3 लाख 20 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बोवनी की जाएगी। इसके अलावा चना 61 हजार हेक्टेयर, मटर 5 हजार हेक्टेयर, मक्का और अन्य फसलें 29 हजार हेक्टेयर, तथा उद्यानिकी फसलें 24 हजार 500 हेक्टेयर में बोई जाएंगी।

अच्छी बारिश और खेतों में नमी के चलते इस साल किसानों का रुझान गेहूं की तरफ बढ़ा है। किसानों का मानना है कि गेहूं को पर्याप्त नमी और जलस्तर की आवश्यकता होती है, जो इस बार पूरी मिली है।

खाद की किल्लत बनी किसानों की चिंता

खेती की तैयारी के बीच किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है — डीएपी और 12:32:16 जैसी खादों की कमी। जिले के कई सहकारी सोसाइटी और नकदी बिक्री केंद्रों पर यह खाद उपलब्ध नहीं है, जिससे किसानों को लगातार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

हालांकि प्रशासन का कहना है कि जिले में पर्याप्त भंडारण किया गया है, लेकिन किसानों को जमीनी स्तर पर खाद मिल नहीं पा रही। गेहूं की फसल में बुवाई के 15 दिन बाद यूरिया की आवश्यकता होती है, और अभी से किसानों की लाइनें सोसाइटी के बाहर लगना शुरू हो गई हैं।

कृषक संजय चौहान बताते हैं — “हमारे क्षेत्र में खेतों में नमी तो भरपूर है, लेकिन खाद के बिना गेहूं की बुवाई पूरी नहीं हो सकती। 12:32:16 की सबसे ज़्यादा मांग है, पर मिल नहीं रही।”

कृषि विभाग की तैयारी और किसानों को सलाह

सहायक संचालक कृषि संगीता तोमर के अनुसार, विभाग ने इस बार गेहूं और चने के रकबे को बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि तापमान कम होते ही बुवाई तेज़ी से शुरू होगी।

विभाग किसानों को सलाह दे रहा है कि वे मिट्टी परीक्षण कर उचित खाद का उपयोग करें, साथ ही वैकल्पिक उर्वरक जैसे कंपोस्ट या ऑर्गेनिक खाद का भी उपयोग करें ताकि उत्पादन पर असर न पड़े।

बारिश से मिली नई ऊर्जा

इस बार की पर्याप्त वर्षा ने किसानों की उम्मीदें फिर से जगा दी हैं। खेतों में नमी बनी रहने से सिंचाई की जरूरत कम होगी और फसलों की अंकुरण क्षमता बढ़ेगी। किसान अब खेतों की जुताई, बखराई और लहसुन-मटर जैसी फसलों की शुरुआती बुवाई में जुट गए हैं।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तापमान में आने वाले दिनों में हल्की गिरावट आती है तो गेहूं की बुवाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचेगी। मालवा क्षेत्र का गेहूं पहले से ही अपनी गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता के लिए प्रसिद्ध है।



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