औद्योगिक नगरी पीथमपुर से होकर गुजरने वाला महू–नीमच मार्ग इन दिनों अपनी खस्ता हालत को लेकर सुर्खियों में है। पीथमपुर से घाटाबिल्लोद तक लगभग 18 से 19 किलोमीटर का हिस्सा गड्ढों से भरा पड़ा है। हालात इतने खराब हैं कि स्थानीय लोग अब सवाल पूछ रहे हैं—जब सड़क ही नहीं है तो फिर टोल वसूली क्यों हो रही है? इसी गुस्से के चलते गुरुवार को सामाजिक संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने मिलकर टोल प्लाजा पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और टोल वसूली रोक दी।
हादसों का मार्ग बनी सड़क
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि सड़क पर छोटे-बड़े करीब 80 से 100 गड्ढे बने हुए हैं। आए दिन दुर्घटनाएं होना आम बात हो गई है। बीते एक सप्ताह में ही इस मार्ग पर तीन से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। बुधवार की रात एक बस हादसे का शिकार हो गई थी। बारिश में हालात और बिगड़ जाते हैं। दोपहिया वाहन चालक तो सबसे ज्यादा जोखिम उठाते हैं क्योंकि गड्ढों में पानी भरने से सड़क का स्वरूप ही गायब हो जाता है।

टोल वसूली पर उठे सवाल
जानकारी के अनुसार इस मार्ग से प्रतिदिन 15 से 18 हजार वाहन गुजरते हैं। चूंकि पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र है, इसलिए भारी वाहनों की संख्या अधिक रहती है। टोल कंपनी रोजाना करीब 15 से 20 लाख रुपये वसूलती है, यानी सालभर में लगभग 50 से 70 करोड़ रुपये जनता की जेब से जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद सड़क की मरम्मत के नाम पर कुछ भी नहीं किया जा रहा। लोगों का कहना है कि यह जनता के साथ खुला धोखा है।
संगठनों का अल्टीमेटम
पीथमपुर क्षेत्र रक्षा मंच और पीथमपुर बचाओ समिति के नेतृत्व में डॉ. हेमंत हीरोले और संदीप रघुवंशी सहित सैकड़ों लोग टोल प्लाजा पहुंचे। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि यदि अगले 24 घंटे में मरम्मत का काम शुरू नहीं हुआ और 10 दिन के भीतर पैचवर्क पूरा नहीं किया गया तो टोल वसूली स्थायी रूप से बंद कर दी जाएगी। प्रदर्शनकारियों ने कुछ समय के लिए टोल बूथ बंद करवा दिए और वाहन बिना शुल्क चुकाए निकलते रहे।
कंपनी और प्रशासन की सफाई
विरोध के बाद टोल कंपनी की ओर से मुकेश मकवाना सामने आए। उन्होंने कहा कि भारी बारिश के कारण गड्ढे बने हैं और अगले 24 घंटे में मरम्मत का काम शुरू कर दिया जाएगा। वहीं, पीथमपुर थाना प्रभारी राजेंद्र सोनी ने भी लोगों को आश्वासन दिया कि सड़क पर जल्द पैचवर्क शुरू होगा।
जनता का सवाल– जिम्मेदारी कौन लेगा?
लोगों का कहना है कि इसी मार्ग से जनप्रतिनिधि, मंत्री, कलेक्टर और अधिकारी प्रतिदिन गुजरते हैं, लेकिन सड़क की बदहाली पर किसी की नज़र नहीं पड़ती। अब जनता ने साफ चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।














