
धार जिले के पीथमपुर में वर्षों से जमा यूनियन कार्बाइड का खतरनाक कचरा अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। हाईकोर्ट के आदेश पर मई महीने से इस कचरे को वैज्ञानिक तरीके से जलाकर नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू होगी। यह प्रक्रिया करीब 72 दिनों में पूरी की जाएगी, जिसमें 307 टन कचरे को जलाया जाएगा और इसके बदले 900 टन राख निकलेगी।
ट्रायल रन में मिल चुकी हरी झंडी
28 फरवरी से 9 मार्च के बीच इस परियोजना का ट्रायल रन किया गया था, जिसमें 30 टन कचरे को जलाकर सफलता पूर्वक नष्ट किया गया। इसके बाद अब पूरे 307 टन कचरे को नष्ट करने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं।
स्वचालित प्रणाली की अनिवार्यता
इस बार प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए संयंत्र में ऑटोमेटिक वज़न मापी यंत्र और रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं। पहले कर्मचारी मैन्युअली कचरे को तौलकर भस्मक में डालते थे, लेकिन अब मशीनें यह काम सटीकता से करेंगी। वहीं संयंत्र की चिमनी, दहन कक्ष और आसपास के गांवों में भी प्रदूषण पर निगरानी के लिए रियल टाइम सेंसर लगाए जाएंगे। इससे मर्करी जैसी जहरीली गैसों की मात्रा भी सार्वजनिक रूप से डिस्प्ले बोर्ड पर नजर आएगी।
राख के निपटान की भी तैयारी
30 टन कचरे से 75 टन राख निकली थी, ऐसे में अब 307 टन कचरे से लगभग 900 टन राख निकलने का अनुमान है। इसे जमीन में सुरक्षित रूप से दबाने के लिए कंपनी को नई लैंडफिल साइट की जरूरत है। फिलहाल कंपनी ने इस हेतु मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति माँगी है। जब तक अनुमति नहीं मिलती, राख को संयंत्र परिसर में ही अस्थायी रूप से रखा जाएगा।
क्यों है यह प्रक्रिया ज़रूरी?
यूनियन कार्बाइड का यह जहरीला कचरा भोपाल गैस त्रासदी के बाद से एक बड़ा पर्यावरणीय संकट बना हुआ है। इसे नष्ट करने के लिए वर्षों से बहस होती रही है। अब जब अदालत ने समयबद्ध तरीके से इसे जलाने का आदेश दिया है, तो यह कदम जनस्वास्थ्य और पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।