सरदारपुर जनपद पंचायत की बैठक में हंगामा, सीईओ पर भ्रष्टाचार और अवैध उगाही के गंभीर आरोप


सरदारपुर जनपद पंचायत की साधारण सभा में जनपद सीईओ मलखान सिंह कुशवाहा पर जनप्रतिनिधियों ने अवैध उगाही और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। बैठक में हंगामे के बाद सीईओ को छोड़नी पड़ी बैठक।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

जिले की सरदारपुर जनपद पंचायत की शुक्रवार को हुई साधारण सभा की बैठक उस समय हंगामे में बदल गई, जब जनपद सदस्यों ने जनपद सीईओ मलखान सिंह कुशवाहा पर भ्रष्टाचार, अवैध उगाही और मनमानी के गंभीर आरोप लगाए। बैठक के दौरान विवाद इतना बढ़ गया कि सीईओ को बैठक छोड़कर बाहर जाना पड़ा। इसके बाद सदस्यों ने मीडिया से बातचीत में सीईओ पर कई मामलों को लेकर नाराजगी जताई और उन्हें तत्काल हटाने की मांग की।

बैठक में क्यों हुआ विवाद?

साधारण सभा की बैठक में शामिल जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि, उपाध्यक्ष प्रतिनिधि और अन्य जनपद सदस्यों ने आरोप लगाया कि जनपद सीईओ मलखान सिंह कुशवाहा योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता नहीं रखते और कार्यों की मंजूरी के बदले अवैध रूप से पैसों की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि पंचायत सचिवों पर भी सीईओ द्वारा दबाव बनाया जाता है और कई ग्राम पंचायतों में उनके द्वारा नियुक्त लोगों के माध्यम से अवैध वसूली की जा रही है।

सदस्यों ने लगाए ये आरोप

जनपद उपाध्यक्ष प्रतिनिधि राजेन्द्र सिंह राठौर ने कहा, “सीईओ जनपद सदस्यों को बदनाम कर रहे हैं और हर कार्य के लिए रिश्वत मांगते हैं। हम कलेक्टर से मांग करते हैं कि ऐसे अधिकारी को तत्काल हटाया जाए।”

भेरूलाल निनामा, जो जनपद सदस्य प्रतिनिधि हैं, उन्होंने कहा, “तालाब निर्माण की स्वीकृति के लिए मुझसे 2% कमीशन मांगा गया। सीईओ ने अपने करीबियों को अवैध वसूली के लिए पंचायतें सौंप दी हैं।”

वहीं सदस्य सुखराम पग्गी ने आरोप लगाया कि “सीईओ पंचायत सचिवों से भी अवैध रूप से वसूली करते हैं। इस रवैये से भाजपा सरकार की छवि खराब हो रही है।”

सीईओ ने आरोपों को नकारा

जब मीडिया ने इस विवाद पर सीईओ मलखान सिंह कुशवाहा से प्रतिक्रिया ली, तो उन्होंने सभी आरोपों को निराधार बताया। उनका कहना है कि यह सब व्यक्तिगत आरोप हैं जिनका कोई आधार नहीं है।

राजनीतिक असर और आगे की कार्रवाई

इस घटना के बाद जनपद पंचायत में प्रशासनिक कामकाज को लेकर सवाल उठने लगे हैं। सदस्यों की ओर से मांग की गई है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और सीईओ को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। वहीं जिला प्रशासन की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।



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