बारिश की कमी से सोयाबीन पर संकट, फली और फूल बनने में रुकावट — कीटों का प्रकोप बढ़ा


मालवा–निमाड़ में बारिश की कमी से सोयाबीन की फसल पर खतरा मंडरा रहा है। कीट और पीला मोजेक रोग के प्रकोप से 20% फसल प्रभावित। किसानों को समय पर बारिश और शुरुआती उपचार से ही मिल सकती है राहत।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

धार जिले और आसपास के मालवा–निमाड़ क्षेत्र में इस बार सोयाबीन की फसल पर मौसम की मार पड़ने लगी है। जून में किसानों ने मेहनत से महंगे बीज खरीदकर बोवनी की, लेकिन तेज और लगातार बारिश न होने से खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। अब फसल फली और फूल की अवस्था में है, मगर बारिश की कमी के कारण इनके बांझ रहने का खतरा है।

 

कीटों और बीमारियों का बढ़ता हमला

किसानों के अनुसार, इस समय फसल पर हरी अर्द्ध कुंडलक इल्ली, चक्रभंग तना मक्खी और सफेद मक्खी जैसे कीटों का प्रकोप बढ़ गया है। जिले में इस साल लगभग तीन लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई है और करीब 20 प्रतिशत फसल पहले से प्रभावित बताई जा रही है। किसान राहुल चौधरी का कहना है कि अगर जल्द बारिश नहीं हुई तो नुकसान और ज्यादा बढ़ सकता है।

 

पत्ते पीले और सूखने लगे

जिन खेतों में पानी की आवश्यकता अधिक है, वहां सोयाबीन के पौधे पीले पड़ने लगे हैं। यह पीला मोजेक रोग का संकेत है, जिसे शुरुआती अवस्था में दवा छिड़ककर नियंत्रित किया जा सकता है। भारतीय किसान संघ के महेश ठाकुर बताते हैं कि कई इलाकों में सोयाबीन और मक्का दोनों में कीट और रोग का असर दिखने लगा है।

 

इल्लियों का आक्रमण

गर्मी और बारिश के लंबे अंतराल ने इल्लियों को पनपने का मौका दे दिया है। किसान विजय गोस्वामी बताते हैं कि सोयाबीन के निचले पत्ते सूखने लगे हैं और उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका है। उन्होंने बताया कि मक्का की फसल पर भी इल्लियों का प्रकोप अधिक है, जिसके लिए कीटनाशक का छिड़काव किया गया है।

नई वैरायटी के बीज में ज्यादा नुकसान

इस बार कई किसानों को महंगे दाम पर नई किस्म के बीज बेचे गए, जिनकी गुणवत्ता संतोषजनक नहीं रही। कई जगह इन बीजों से उगी फसल में अधिक नुकसान देखा जा रहा है। जिले में बोई गई कुल सोयाबीन में लगभग आधी नई वैरायटी की है, जिसमें 2172 जैसी किस्मों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। भारतीय किसान संघ के मंत्री अमोल पाटीदार का कहना है कि कुल नुकसान करीब 10 से 20 प्रतिशत तक है।

 

आगे का खतरा: वाइट ग्रब और मच्छर

जून के बाद से जिले में पर्याप्त बारिश नहीं हुई और सावन भी लगभग सूखा गुजर रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले एक-दो दिन में तेज बारिश की संभावना है, लेकिन अगर चार–पांच दिन और बारिश नहीं हुई, तो फसल पूरी तरह नष्ट हो सकती है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि लम्बे सूखे के बाद वाइट ग्रब का प्रकोप भी हो सकता है, जो फसलों को और नुकसान पहुंचाएगा।

 

कृषि विभाग किसानों को फसल की नियमित निगरानी करने और शुरुआती स्तर पर कीट व रोग का उपचार करने की सलाह दे रहा है। किसानों की उम्मीद अब केवल समय पर होने वाली अच्छी बारिश पर टिकी है।

 



Related