
धार जिले में इन दिनों सरकारी विभागों में कर्मचारियों के तबादले किसी महापर्व से कम नहीं हैं। शासन की ओर से तबादलों की छूट मिलते ही जिले के विभिन्न विभागों में कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में ट्रांसफर के आवेदन देना शुरू कर दिए हैं। सबसे अधिक आवेदन शिक्षा विभाग में देखे जा रहे हैं, जहां शिक्षक मनचाही जगह पर पदस्थापना पाने की होड़ में लगे हुए हैं। स्थिति यह है कि जनप्रतिनिधियों की सिफारिशें और “जुगाड़” की भूमिका भी एक बार फिर चर्चा में आ गई है।
हजारों आवेदन, दो पद्धतियों में बंटे
जनजातीय कार्य विभाग में ही 1000 से अधिक शिक्षकों ने ट्रांसफर की मांग की है, जिनमें से 712 ने ऑनलाइन पोर्टल के जरिए आवेदन किया, जबकि 290 ने सीधे जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ऑफलाइन आवेदन कर दिए हैं। इनमें कई ने सांसदों और विधायकों से अनुशंसा पत्र लगवाकर प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की है। हालांकि विभागीय अधिकारी साफ कर चुके हैं कि ट्रांसफर शासन की गाइडलाइन और पॉलिसी के अनुसार ही किए जाएंगे।
शिक्षा विभाग में बदलाव की लहर
शिक्षा विभाग की ओर से ऑनलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया 6 जून से शुरू हुई है, जो 16 जून तक चलेगी। सहायक आयुक्त नरोत्तम वरकड़े ने जानकारी दी कि उन्हीं स्कूलों में पोस्टिंग दी जाएगी जहां शिक्षकों की ज़रूरत है, पहले से पदस्थ स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षक नहीं भेजे जाएंगे।
जमे-जमाए कर्मचारियों की अब खैर नहीं
स्वास्थ्य, पुलिस, वन और अन्य सरकारी विभागों में भी वर्षों से जमे कर्मचारियों की सूची तैयार हो चुकी है। अब इनको अनिवार्य रूप से नई जगहों पर भेजा जाएगा। इनकी ट्रांसफर लिस्ट लगभग फाइनल हो चुकी है और कलेक्टर कार्यालय से अनुमोदन की प्रक्रिया शेष है।
होस्टल अधीक्षकों को फिर स्कूल की राह
विभागीय नियमों के अनुसार तीन वर्षों से अधिक समय से आश्रम या होस्टल अधीक्षक के रूप में कार्य कर रहे शिक्षकों को अब यह पद छोड़ना होगा। विभाग ने करीब 110 ऐसे कर्मचारियों की पहचान की है जिन्हें अब शैक्षणिक कार्यों में वापसी करनी पड़ेगी।
किस स्तर पर होंगे स्थानांतरण?
कलेक्टर स्तर पर प्राथमिक, सहायक शिक्षक, लिपिक, भृत्य और अन्य तृतीय-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के स्थानांतरण किए जाएंगे, वहीं उच्च संवर्ग के तबादले राज्य सरकार की अनुमति से ही संभव होंगे।