खरगोनः गायत्री परिवार के वरिष्ठ गोपालकृष्ण अमझरे का निधन


अमझरे करीब 20 वर्षों से गायत्री परिवार से जुड़ कर गायत्री परिवार द्वारा चलाए जाने वाले नशा मुक्ति, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण सहित भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा जैसे अभियानों में सक्रियता निभाते हुए निरंतर इनके प्रचार-प्रसार में जुटे रहते थे।


kantilal-karma कांतिलाल कर्मा
खरगोन Published On :
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– अखिल भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के प्रचार-प्रसार में रहा अहम योगदान।
खरगोन। गायत्री परिवार के वरिष्ठ सदस्य, समाजसेवी एवं जिला पंचायत कर्मचारी नीरज अमझरे के पिता गोपालकृष्ण अमझरे का दु:खद निधन हो गया। उनके निधन से समाजजनों सहित गायत्री परिवारजनों में गहरा शोक व्याप्त है।

अमझरे का अंतिम संस्कार मुक्तिधाम पर किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में गायत्री परिवार से जुड़े सदस्य शामिल हुए और उन्हें भावभिनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उठावना 30 जनवरी को प्रात: दस बजे होगा।

बता दें कि अमझरे करीब 20 वर्षों से गायत्री परिवार से जुड़ कर गायत्री परिवार द्वारा चलाए जाने वाले नशा मुक्ति, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण सहित भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा जैसे अभियानों में सक्रियता निभाते हुए निरंतर इनके प्रचार-प्रसार में जुटे रहते थे।

गायत्री परिवार ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया है। गायत्री परिवार के संतोष पाटीदार ने बताया कि अमझरे उम्र के इस पड़ाव में भी गायत्री परिवार के लिए अपना अमूल्य समय देते थे, उनके ही प्रयासों से आज गायत्री परिवार द्वारा आयोजित अभा संस्कृति ज्ञान परीक्षा में हजारों छात्र-छात्राएं सम्मिलित हो रहे हैं।

वृक्षतीर्थ मेहरजा में भी देते थे सेवाएं –

स्व. अमझरे श्रीमाली समाज के विभिन्न पदों पर रहते हुए समाजसेवा के क्षेत्र में हमेशा सक्रिय रहे। गायत्री परिवार के पीसी चौहान, योगेश पाटीदार ने बताया कि स्व. अमझरे ने पर्यावरण सरंक्षण को महत्व देते हुए वृक्षतीर्थ मेहरजा में बंजर भूमि को हरियाली से आच्छादित करने में खूब पसीना बहाया।

वृक्षारोपण करके छाया और फलदार पौधों को फायदेमंद होने तक उनकी देखरेख व परवरिश की, यही करण है कि आज वृक्षतीर्थ स्थल हरा-भरा नजर आता है। गायत्री परिवार को नई ऊंचाइयां देने और जन-जन तक सत साहित्य पहुंचाने में भी अमझरे का भरपूर योगदान रहा है।

घर-घर गायत्री यज्ञ कराकर लोगों में जनचेतना जगाने के पंडित श्रीराम जी शर्मा के भाव को जीवन नैया पार लगाने का माध्यम बनाने वाले अमझरे का हर किसी कार्यक्रम में अभूतपूर्व योगदान रहा है।



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