इंदौर के SAIMS परिसर स्थित IRCAD इंडिया सेंटर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन SPTSCON-2025 का आज समापन हो गया। इस सम्मेलन का आयोजन पीडियाट्रिक थोरासिक सर्जरी सोसाइटी (SPTS) द्वारा किया गया, जिसमें देशभर से आए विशेषज्ञों ने बच्चों की छाती की बीमारियों, थोरासिक ट्यूमर प्रबंधन और जन्म से पहले ही थोरैक्स क्षेत्र की शल्य विकृतियों के निदान जैसे जटिल विषयों पर गहन चर्चा की।
सम्मेलन के अंतिम दिन, एम.एस. सर्जरी और एम.च. बाल सर्जरी के छात्रों द्वारा अपने-अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। करीब 30 शोध पत्र विभिन्न कैटेगरी में पेश किए गए, जिनमें से सर्वश्रेष्ठ शोधों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। यह आयोजन नवोदित सर्जनों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनकर उभरा।

कार्यक्रम के दौरान मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ इकाई की ओर से प्रतिष्ठित “डॉ. सरोज उपाध्याय अवॉर्ड” भी प्रदान किया गया। यह सम्मान GWALIOR के पूर्व डीन और बाल सर्जन डॉ. सरोज उपाध्याय की स्मृति में दिया जाता है। पुरस्कार वितरण MP-CG चैप्टर की ओर से डॉ. अजय उपाध्याय ने किया।
सम्मेलन का समापन वैलेडिक्टरी फंक्शन और पुरस्कार वितरण के साथ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता IAPS (Indian Association of Pediatric Surgeons) की अध्यक्ष डॉ. सुमित्रा विश्वास (कोलकाता) ने की, जबकि महासचिव डॉ. विकेश अग्रवाल, आयोजन अध्यक्ष डॉ. मनोज जोशी, डॉ. मनीष पटेल, डॉ. बृजेश लाहोटी और आयोजन सचिव डॉ. अद्वैत प्रकाश मंच पर उपस्थित रहे। डॉ. अद्वैत प्रकाश ने समापन पर सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

क्यों खास था SPTSCON-2025?
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यह सम्मेलन देश का पहला आयोजन था जो पूर्ण रूप से बच्चों की छाती की बीमारियों और उनसे संबंधित शल्य चिकित्सा पर केंद्रित रहा।
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सम्मेलन की शुरुआत एक हैंड्स-ऑन रोबोटिक सर्जरी वर्कशॉप से हुई, जिसमें देशभर से 15 वरिष्ठ विशेषज्ञों ने भाग लिया।
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PGI चंडीगढ़ के डॉ. रवि कनोइजिया, SGPGI लखनऊ के डॉ. अंकुर मंडेलिया और डॉ. अभिषेक तिवारी जैसे विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण में मार्गदर्शन किया।
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सम्मेलन के दौरान सर्जरी, केस स्टडीज़ और नई तकनीकों की प्रस्तुति ने प्रतिभागियों को समृद्ध अनुभव प्रदान किया।
वरिष्ठ फैकल्टी और प्रतिनिधियों ने की सराहना
SPTSCON-2025 को वरिष्ठ बाल सर्जनों और देशभर से आए प्रतिनिधियों ने अत्यंत उपयोगी और व्यावहारिक बताया। आयोजकों का कहना है कि इंदौर जैसे शहर में इस स्तर का आयोजन करना स्थानीय चिकित्सा शिक्षा और शोध के लिए ऐतिहासिक कदम है।