तीन साल पहले पुलिया से बहा था हिमांशु , आज भी मां हर रोज़ दीपक जलाकर कर रही लौटने की प्रार्थना

जल्दबाजी में पुलिया से गुजरा था हिमांशु, न कभी शव मिला न कोई खबर

तीन साल हो गए अपने बेटे का इंतजार करते-करते इंतजार बाकी है लेकिन नहीं था कि तो सिर्फ आंखें यह कहानी है गुर्जर खेड़ा रोड निवासी कमल कम और उनके परिवार की जिनका 28 साल का बेटा 3 साल पूर्व 21 अगस्त के ही दिन पानी के भाव में बह गया था। हिमांशु की निशानी मोटरसाइकिल और लैपटॉप तो घटना के दूसरे दिन ही मिल गई थी लेकिन नहीं मिला तो हिमांशु जिसका आज तक मां-बाप इंतजार कर रहे हैं।

तीन साल पहले 21 अगस्त की रात को हिमांशु जल्दी घर पहुंचने किस देश में शॉर्टकट का रास्ता अपनाया उस रात काफी तेज पानी गिर रहा था हिमांशु हिमांशु मुख्य मार्ग से ना होते हुए किससे कैंसर की पुलिया से जाने लगा पुलिया पर पानी था। लोगों ने काफी समझाया भी लेकिन घर जाने की जल्दी में उसने किसी की नहीं सुनी और आगे बढ़ गया लेकिन पुलिया के बीच पहुंचते ही बाइक का संतुलन बिगड़ गया और बह गया।

उधर रात भर मां बाप ने बेटे का इंतजार करते रहे। पिता कमल कदम का कहना है कि तेज बारिश होने के कारण उन्होंने सोचा कि बेटा इंदौर में ही कहीं रुक गया होगा दूसरे दिन सुबह अखबारों से पता चला कि एक युवक सांतेर किशनगंज के पुलिया में बह गया।

आसपास के लोगों ने बताया कि वह गया युवक कोई और नहीं उनका बेटा हिमांशु था, पिता बताते हैं खबर लगने के बाद वे तुरंत मौके पर पहुंचे। इस दौरान यहां हिमांशु को खोजने का काम जारी था। आम नागरिकों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ करीब 5 दिन तक हिमांशु की खोज की लेकिन वह कहीं नहीं मिला हालांकि दूसरे दिन मोटरसाइकिल मिल गई और तीसरे दिन लैपटॉप मिला।

पिता कमल कदम का कहना है कि काफी प्रयास किया बेटे को खोजने का लेकिन वो नहीं मिला। कहते हैं कि वे आज भी अपने बेटे का इंतजार कर रहे हैं।

हिमांशु, सॉफ्टवेयर इंजीनियर था वह इंदौर की एक कंपनी में काम करता था, उसने अपना घर बनाने के लिए लोन भी लिया था जो उसके बूढ़े पिता चुका रहे हैं। घर में दो बड़ी बहनें भी हैं जिनकी शादी हो गई है। माता-पिता जैसे तैसे अपना जीवन जी रहे हैं। उन्हें कुछ आर्थिक सहायता भी मिली जो हिमांशु की मां के इलाज में खर्च हो गई। सरकारी नियमों के चलते उन्हें कोई मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं मिला है और इसके चलते अभी तक आगे मदद नहीं मिली।

इस घटना के बाद लोक निर्माण विभाग में रपट के दोनों ओर सुरक्षा करने की कवायद की गई लेकिन यह दिखावा ही साबित हुई। आज तक इस पुलिया पर कोई सुरक्षा नहीं दी गई है।

तत्कालीन एसडीएम अभिलाष मिश्रा ने हिमांशु को खोजने के लिए व्यक्तिगत रूप से काफी प्रयास किए लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी।  हिमांशु की मां आज भी इसी उम्मीद में हैं कि एक दिन उनका बेटा जरूर वापस आएगा।

 

First Published on: August 21, 2023 11:01 PM