इंदौर लॉ कॉलेज के प्रो. इनामुर्रहमान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, मप्र सरकार को फटकार


साल 2022 में मिली थी किताब, इसे लेकर तीन प्रोफेसरों पर लगाए गए थे धार्मिक कट्टरता फैलाने के आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने कहा ऐसी किताब हमारी लाइब्रेरी में भी हो सकती है।


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इन्दौर Updated On :

इंदौर के सरकारी लॉ कॉलेज की लाइब्रेरी में पाई गई एक विवादास्पद पुस्तक के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। इस मामले में सरकार द्वारा सस्पेंड किए गए प्रिंसिपल प्रो. इनामुर्रहमान को सुप्रीम कोर्ट से राहत दे दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंसिपल के खिलाफ कार्रवाई को रोकने और एफआईआर को रद्द कर दिया है।   प्रो. इनामुर्रहमान इसी महीने के अंत में सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उन्होंने हालही में सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर याचिका दायर की थी। उल्लेखनीय है कि यह मामला साल 2022 का है जब भाजपा से जुड़े छात्र संगठन ने इस किताब के कॉलेज की लाइब्रेरी होने को लेकर हंगामा किया था और बाद में इसे लेकर कॉलेज के तीन प्रोफेसरों पर धार्मिक कट्टरता फैलाने का आरोप लगाया गया था।

इंदौर हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज होने के बाद, प्रिंसिपल ने इसी महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एफआईआर को रद्द करने की पुष्टि प्रो. इनामुर्रहमान के वकील अभिनव धनोतकर ने की है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर मंगलवार को सुनवाई हुई।

मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दो जजों जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बैंच ने प्रो. पर आपराधिक कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करने के लिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की प्रशंसा की। बैंच ने कार्रवाई और एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि यह मामला सिलेबस से संबंधित है। सुनवाई के दौरान SC ने टिप्पणी की कि राज्य इस तरह के मामले में उत्पीड़न करने में इतना उत्सुक क्यों है। वह (प्रो. इनामुर्रहमान) पहले से ही अग्रिम जमानत पर बाहर थे। यह पुस्तक सुप्रीम कोर्ट की पुस्तकालय में भी मिल सकती है।

न्यायाधीश गवई ने पूछा, “राज्य सरकार ऐसे मामले में एक अतिरिक्त महाधिवक्ता को पेश करने में क्यों दिलचस्पी रखता है?” वह भी चेतावनी पर?! स्पष्ट है, यह एक उत्पीड़न का मामला लगता है! किसी को उसे (याचिकाकर्ता को) परेशान करने में दिलचस्पी है! हम जांच अधिकारी के खिलाफ नोटिस जारी करेंगे! राज्य को क्यों दिलचस्पी है कैविएट दाखिल करने में?

हाल ही में, प्रिंसिपल ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें रिटायरमेंट की बात कहते हुए एफआईआर को रद्द करने की बात कही थी उन्होंने कहा था कि लाइब्रेरी में किताब पहले से ही रखी हुई थी।



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