घर टूटा तो बिलखने लगे बच्चे, परेशान हुए बुजुर्ग

सुजीत चौहान की हत्या के आरोपितों पर कार्रवाई, फरार आरोपियों पर दस हजार का इनाम। ग्रामीणों ने दी पुलिस-प्रशासन को धमकी- यदि पुलिस उनका एनकाउंटर नहीं करती है तो वे कर देंगे।

mhow house broke down

महू। पिगडंबर में बीते बुधवार को भाजपा नेता उदल सिंह चौहान के बेटे सुजीत की हत्या के आरोपियों को किसी तरह की राहत नहीं मिल रही है। शुक्रवार को फिर आरोपियों और उनके परिवार के लोगों पर प्रशासन और पुलिस ने कार्रवाई की।

इस दौरान इनके करीब चार अतिक्रमण हटाए गए। इसके कारण इनके परिवार के बुजुर्ग और बच्चे भी खासे परेशान हुए। अचानक हुई इस कार्रवाई के बाद अब इन बच्चों के सिर पर छत भी नहीं है और ये श्मशान में बैठे हैं। जहां इनका रो-रोकर बुरा हाल है।

इस कार्रवाई को लेकर अब छावनी परिषद और रक्षा संपदा विभाग की अपनी ही जमीनों पर से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाईयों पर भी सवाल उठ रहे हैं।

सुजीत चौहान की हत्या के मामले में नौ आरोपी बनाए गए हैं इनमें से दो को गिरफ्तार कर लिया गया है और राकेश डॉन पहले से ही जेल में है। जो छह आरोपी फरार हैं उन पर पुलिस ने दस हजार रुपये का इनाम रखा है। पुलिस को उम्मीद है कि सभी आरोपियों को अगले चौबीस घंटों के अंदर पकड़ लिया जाएगा।

इसके साथ ही पुलिस और प्रशासन पर पिगडंबर के ग्रामीणों और चौहान परिवार का भी दबाव है जिन्होंने जल्द से जल्द आरोपियों को पकड़ने की मांग कर दी है। यही नहीं उन्होंने धमकी भरे अंदाज में साफ कहा है कि यदि पुलिस उनका एनकाउंटर नहीं करती है तो वे कर देंगे।

ऐसे में पुलिस आरोपियों को पकड़ने की हरसंभव कोशिश कर रही है। इसके अलावा प्रशासन को डर है कि मामले को लेकर अगर थोड़ी भी ढील छोड़ी तो फिर बुधवार रात की ही तरह चक्काजाम की स्थिति भी बन सकती है।

गुरुवार को प्रशासन ने आरोपियों पर कार्रवाई करते हुए बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाए थे। इस दौरान करीब चौदह करोड़ रुपये की 39000 वर्ग फुट जमीन आजाद कराई गई है।

शुक्रवार को फिर यहां कार्रवाई की गई। इस दौरान मन्नू पुत्र कन्हैयालाल एवं राजकुमार का अवैध रूप से बना मकान गूजरखेड़ा में ध्वस्त किया गया है। इस कार्रवाई का नेतृत्व एसडीएम अक्षत जैन और तहसीलदार अभिषेक शर्मा ने किया।

एसडीएम जैन के मुताबिक अपराधियों के अवैध कामकाज की जानकारी ली जा रही है और इसके बाद उन्हें ध्वस्त करने का काम किया जाएगा।

मकान गिराने के लिए जब अमला मौके पर पहुंचा तो घरों में लोग मौजूद थे। उन्होंने प्रशासन से कई बार अपील की, लेकिन अधिकारियों ने उनकी एक नहीं सुनी। इसके बाद प्रशासन ने उन्हें बाहर निकालकर घरों में तोड़-फोड़ शुरू कर दी।

इस दौरान बच्चे और बूढ़े रोते- बिलखते हुए टूट रहे अपने घर को देखते रहे। उनके पास अब कोई घर नहीं था। ऐसे में वे कुछ सामान लेकर पास में श्मशान में जाकर बैठ गए।

प्रशासन की इस कार्रवाई से व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अधिकारियों ने जहां अतिक्रमण को अनदेखा किया और कार्रवाई के नाम पर केवल नोटिस ही दिये। इस रवैये के चलते लोगों ने बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किये और वहां बस गए।

अतिक्रमणकारियों द्वारा कानून के उल्लंघन और अधिकारियों की इस लापरवाही का ख़ामियाजा परिवार के उन छोटे बच्चों को भुगतना पड़ता है जिनकी इस पूरे मामले में कभी कोई गलती ही नहीं रही।

उल्लेखनीय है कि गुरुवार को ही परिषद और रक्षा संपदा विभाग की 39000 वर्ग फुट जमीन से अतिक्रमण हटाने का दावा किया गया है। प्रशासन के अनुसार इसकी कीमत करीब 14 करोड़ रुपये है। ऐसे में सवाल उठता है कि परिषद और रक्षा संपदा विभाग इस छोटे से शहर में भी किस तरह अपना काम कर रहे हैं।

First Published on: March 25, 2022 4:18 PM