क्या 2024 के लोकसभा चुनाव को लूट लिया जाएगा ?


पुलवामा (फ़रवरी 2019) के कारण उठी राष्ट्रवाद की देशव्यापी लहर और भारतीय सेनाओं द्वारा की गई जवाबी बालाकोट स्ट्राइक के बाद पिछला लोकसभा चुनाव भाजपा का श्रेष्ठ प्रदर्शन था। इसके पहले 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में सत्ताएँ गवाँ चुकी थी।


श्रवण गर्ग
अतिथि विचार Published On :

देश के 140 करोड़ और दुनिया भर में बसे भारतीय मूल के अन्य करोड़ों नागरिकों की नज़रें आज चार जून को सिर्फ़ एक नतीजे पर टिकनी वाली है कि मोदी जी का क्या होने वाला है ? इस समय 2024 के चुनावों के सारे प्राण मोदीजी में समा गए हैं। भक्तों के लिए कल्पना करना भी कठिन हो रहा है कि भाजपा चुनाव हार भी सकती है। भाजपा और एग्जिट पोल्स के दावों ( भाजपा 300 + और एनडीए 400+) के विपरीत विपक्षी इंडिया गठबंधन ने 295 सीटें मिलने का विश्वास जताया है।

पिछले चुनाव (2019) में भाजपा को 303 और एनडीए को 353 सीटें प्राप्त हुईं थीं।

पुलवामा (फ़रवरी 2019) के कारण उठी राष्ट्रवाद की देशव्यापी लहर और भारतीय सेनाओं द्वारा की गई जवाबी बालाकोट स्ट्राइक के बाद पिछला लोकसभा चुनाव भाजपा का श्रेष्ठ प्रदर्शन था। इसके पहले 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में सत्ताएँ गवाँ चुकी थी।

कर्नाटक में भी उसे बहुमत नहीं प्राप्त हुआ था। दल-बदल के बाद ही वहाँ बाद में सरकार बनी थी पर 2023 के चुनावों में वहाँ और तेलंगाना दोनों स्थानों पर कांग्रेस सत्ता में आ गई थी। यानी 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान पूरे दक्षिण भारत में सिर्फ़ कर्नाटक में भाजपा की सरकार थी और वहाँ उसे 28 में से 25 सीटें मिलीं थीं। तेलंगाना में चार सीटें और उड़ीसा में आठ सीटें (कुल 37 )। तेलंगाना में तब बीआरएस की और उड़ीसा में बीजू जनता दल की सरकारें थीं।

इस प्रकार 2019 के चुनावों के बाद से दक्षिण भारत के राज्यों ( केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र, तेलंगाना और उड़ीसा ) की 150 सीटों में से भाजपा के पास सिर्फ़ 37 सीटें थीं। इनमें कर्नाटक और तेलंगाना की सीटें भी शामिल हैं जहां (2019 के विपरीत ) 2024 के लोकसभा चुनाव कांग्रेस की सरकारों के नेतृत्व में लड़े गए।

2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा ने नारा दिया था कि उसे 4 जून (आज) की मतगणना में 370 + और एनडीए को 400 + सीटें मिलने वाली हैं। आठ में से तीन एग्जिट पोल्स ने भी एनडीए के लिये 400 से ज़्यादा सीटों की भविष्यवाणी की है।

चुनाव के नतीजों को आज इस नज़रिए से देखिए :

मान लिया जाए कि मोदी सरकार के ख़िलाफ़ तमाम विपरीत परिस्थितियों, विपक्षी एकता और कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस की सरकारों के बावजूद दक्षिण की 150 सीटों में से भाजपा की 2019 की सभी 37 सीटों में कोई कमी नहीं आ रही है।

दक्षिण भारत की इन 150 सीटों को लोकसभा की कुल 543 सीटों में से घटा दिया जाए तो शेष देश के लिए सीटें 393 बचती हैं।

इसका मतलब यह हुआ कि एनडीए को अपना टारगेट (400 सीटें) पूरा करने के लिए अब केवल 400-37= 363 चाहिए। यानी शेष देश के लिए बची 393 सीटों में से( भाजपा और एग्जिट पोल्स के दावे के मुताबिक़) एनडीए को 363 सीटें प्राप्त होने जा रही हैं।

यानी उत्तर, पश्चिम और पूर्वी भारत के सभी राज्यों में संपूर्ण विपक्ष को (यूपी, बिहार,पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र ,पंजाब ,आदि मिलाकर) सिर्फ़ 30 सीटें मिलने वाली हैं !

कल्पना कीजिए क्या होने वाला है ! विपक्ष के लिये दक्षिण भारत की 113 और उत्तर, पश्चिम और पूर्व के भारत की 30 सीटें (कुल 143) और एनडीए के लिये 400 सीटें (दक्षिण की 37 और शेष भारत से 363) ? (विपक्ष की 143 में वे उन दलों की सीटें भी शामिल रहेंगी जो वर्तमान में न तो एनडीए में हैं और न इंडिया गठबंधन में! ) क्या किसी जीवित लोकतंत्र में ऐसा होना संभव है ?

क्या भाजपा और एग्जिट पोल्स के दावों के मुताबिक़, 2024 के लोकसभा चुनाव को लूटा जा रहा है ?