ज्ञानवापी की तरह मप्र की भोजशाला में ASI शुरू कर रही सर्वे, जानिए इस विवाद से जुड़े सभी जरूरी तथ्य


शुक्रवार को ही होगी नमाज़ और शुरू होगा सर्वे,
पिछले सर्वे के मुताबिक हिंदू पक्ष का दावा ज्यादा मजबूत है।


आशीष यादव आशीष यादव
बड़ी बात Updated On :

मध्य प्रदेश के धार में बनी भोजशाला का मामला आने वाले दिनों में गर्मा सकता है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद भोजशाला का सर्वे शुक्रवार से शुरू होना है। कोर्ट के पुराने आदेश के अनुसार इसी दिन ही यहां नमाज़ भी होगी।

यह सर्वे वैसा ही होगा जैसे वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का हुआ है। इंदौर हाई कोर्ट ने सर्वे के आदेश पिछले दिनों दिए थे इसके बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम भी गठित हो चुकी है और यह टीम धार जिले में पहुंच चुकी है। सर्वे के दौरान टीम के द्वारा वीडियोग्राफी भी की जाएगी। दोनों पक्षों के लोगों को मौजूद रहने के लिए कहा गया है लेकिन यह लोग किसी तरह की वीडियो या फोटो नहीं ले सकेंगे।

भोजशाला में कभी सरस्वती की यह मूर्ति होती थी जो फिलहाल नहीं है।

शुक्रवार को जब ASI की टीम भोजशाला में खुदाई शुरू करेगी तो  इस खुदाई में मिलने वाले साक्ष्य अहम होंगे। खुदाई में ही पता चलेगा कि मंदिर और मस्जिद का निर्माण यहां कब कब हुआ। खुदाई में यहां कौन-कौन सी वास्तुकला मिलती है यह काफी कुछ तय कर देगा।

1902 के बाद सर्वे

भोजशाला में यह सर्वे 121 साल बाद होने जा रहा है इस से पहले साल 1902 में यह सर्वे किया गया था तब लॉर्ड कर्जन यहां आए थे। हिंदू पक्ष की गुजारिश पर उन्होंने सर्वे की मंजूरी दी थी जिसके बाद इस जगह पर खुदाई के दौरान कई हिंदू प्रतीक चिन्ह और विष्णु तथा सरस्वती की प्रतिमा मिली थी। इसके बाद से ही इस जगह को लेकर विवाद बना हुआ है।

भोजशाला परिसर में ही कमल मौला मस्जिद है।

विवाद इस जगह को लेकर है जहां भोजशाला के ही प्रांगण में एक मजार भी बनी हुई है। भोजशाला का नाम राजा भोज के द्वारा रखा गया जिन्होंने सदियों पहले अपने शासनकाल के दौरान यहां विद्या की देवी सरस्वती का मंदिर बनवाया था। कालांतर में इस स्थान पर एक मजार भी बना दी गई जिसके चलते विवाद खड़ा हो गया।

विवाद को समझिए

यह हिंदू और मुसलमान के बीच करीब एक सदी से भी ज्यादा पुराना विवाद है। मुसलमान इस स्थान को कमाल मौला मस्जिद मानते हैं तो हिंदू सरस्वती देवी का मंदिर। 1902 में हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के सर्वे में मिले साक्ष्य हिंदुओं के दावे को मजबूत करते हैं।

हिंदू पक्ष के लोग वसंत पंचमी के मौके पर यहां धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।

दोनों इस स्थान पर अपना अधिकार जताते रहे हैं। यह मामला कोर्ट में भी चला। इस दौरान 7 अप्रैल 2003 को जारी एएसआई के एक आदेश के अनुसार, हिंदुओं को हर मंगलवार को भोजशाला परिसर के अंदर पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुसलमानों को हर शुक्रवार को परिसर में नमाज अदा कर सकते हैं।

मामले में ज़रूरी तथ्य

 

  • इस मामले में याचिका 11 मई 2022 को दायर की गई। याचिकाकर्ता आशीष गोयल हैं। जो हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। कई वकीलों के साथ इस संगठन के बहुत से लोग इस ममले में शामिल हैं।
  • 5 फरवरी 2024 को हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के याचिकाकर्ता ने कोर्ट में यह एएसआई के सर्वे के लिए आवेदन किया।
  •  19 फरवरी 2024 को सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया।
  •  11 मार्च 2024 को माननीय उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को यह आदेश दिया की संपूर्ण भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जाए।
  • इस सर्वे में नई तकनीकों का उपयोग किए जाने का आदेश दिया गया।
  • इसमें भोजशाला के परिसर के 50 मीटर क्षेत्र में उत्खनन, कार्बन डेटिंग, जीपीएस,जीपीआर तकनीक का प्रयोग कर कलर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी करवाई जाएगी।
  • 6 सप्ताह में विभाग की पांच सदस्य टीम द्वारा दोनों पक्षों की मौजूदगी में सर्वेक्षण पूर्ण कर रिपोर्ट पेश करेगी।
  • 20 मार्च 2024 को भारत सरकार संस्कृति विभाग के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अपर महानिदेशक प्रोफेसर आलोक त्रिपाठी ने शासन और प्रशासन को 22 मार्च से भोजशाला का सर्वे शुरू होने की जानकारी दी।
  • मामले में हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 29 अप्रैल 2024 को होनी है।

 



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