आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति देने के सरकार के फैसले के खिलाफ देशभर के डॉक्टरों ने जताया विरोध

एम्स एम्स-दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन वाईस प्रेसिडेंट डॉ. अमनदीप सिंह ने कहा कि, आधुनिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को मिलाना गलत है। आंख में मोतियाबिंद का ओपरेशन एक आँखों का विशेषज्ञ दो साल की ट्रेनिंग के बाद करता है। 2-6 महीने की ट्रेनिंग के बाद किसी को यह करने देना गलत और खतरनाक है।

नई दिल्ली। आयुर्वेद चिकित्सकों को ऑपरेशन करने के अनुमति देने के केन्द्र सरकार के फैसले के विरोध में आज देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल  अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान (एम्स) सहित पूरे देश में डॉक्टरों विरोध प्रदर्शन किया। एम्स समेत दिल्ली के कई अस्पतालों के डॉक्टरों ने स्नातकोत्तर डिग्रीधारक आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी का प्रशिक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ आईएमए के प्रदर्शन का शुक्रवार को काली पट्टी बांधकर समर्थन किया।

एम्स एम्स-दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन वाईस प्रेसिडेंट डॉ. अमनदीप सिंह ने कहा कि, आधुनिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को मिलाना गलत है। आंख में मोतियाबिंद का ओपरेशन एक आँखों का विशेषज्ञ दो साल की ट्रेनिंग के बाद करता है। 2-6 महीने की ट्रेनिंग के बाद किसी को यह करने देना गलत और खतरनाक है।

एम्स के अलावा नई दिल्ली में एलएनजेपी अस्पताल, राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, डीडीयू अस्पताल, जीटीबी अस्पताल, बीएसए अस्पताल, संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल तथा निगम द्वारा संचालित हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टरों ने बाजुओं पर काली पट्टी बांधकर काम किया।

एम्स-दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने एक बयान में कहा, ‘यह कदम न केवल पहले ही जड़ें जमा चुकी झोलाछाप व्यवस्था को बढ़ावा देगा, बल्कि इससे लोगों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी। हम सरकार से इस अधिसूचना को तत्काल वापस लेने का अनुरोध करते हैं।’

 

जोधपुर मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने आज दो घंटे कार्य का बहिष्कार कर प्रदर्शन किया। वहीं सेवारत डॉक्टरों ने आज काली पट्‌टी बांध अपना विरोध जताया।

इस सरकार से न सिर्फ किसान और मजदूर नाराज हैं बल्कि अब तो डॉक्टर भी नाराज हैं। वहीं सरकार की  परंपरागत चिकित्सा को बढ़ावा देने की सनकी जिद्द ने मरीजों की जान पर भी आफ़त खड़ी कर दी है।

First Published on: December 11, 2020 9:16 PM