
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने इंदौर में स्पष्ट कहा कि आज देश में शिक्षा और स्वास्थ्य आम नागरिक की पहुंच से दूर होते जा रहे हैं। पहले ये सेवाएं सेवा-भाव से दी जाती थीं, लेकिन अब इन्हें कमर्शियल रूप दे दिया गया है। उन्होंने चेताया कि अगर समाज इस दिशा में एकजुट होकर कदम नहीं उठाता, तो कमजोर वर्ग और पिछड़ जाएगा। भागवत का ये बयान देश में ग्यारह साल से चल रही नरेंद्र मोदी की सरकार पर तीखा हमला बताया जा रहा है। इसके बाद फिर एक बार वह चर्चा शुरू हो चुकी है कि संघ और भाजपा के बीच की दूरिया लगातार बढ़ रहीं हैं और जाहिर तौर पर अब हालात सामान्य नहीं हैं।
रविवार को माधव सृष्टि में 96 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे अत्याधुनिक कैंसर केयर सेंटर के शुभारंभ कार्यक्रम में भागवत ने सेंटर की बिल्डिंग और संसाधनों का निरीक्षण किया और जीवन यात्रा पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
“सेवा से व्यवसाय तक पहुंच गया चिकित्सा और शिक्षा”
भागवत ने कहा कि आज स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे बुनियादी क्षेत्र सहज, सुलभ और सस्ते नहीं रहे। यह आम व्यक्ति की आर्थिक क्षमता से बाहर हो गए हैं। “पहले डॉक्टर और शिक्षक सेवा-भाव से काम करते थे, बिना बुलाए मरीज के घर पहुंचते थे, छात्रों का हाल पूछते थे, लेकिन अब खर्च और बिल का हिसाब पहले किया जाता है।”
उन्होंने महंगी चिकित्सा व्यवस्था पर चिंता जताते हुए कहा कि भारत में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का बेहतर इलाज सिर्फ 10-12 शहरों तक सीमित है, जिसके कारण मरीज और उसके परिवार पर मानसिक और आर्थिक दोनों तरह का बोझ बढ़ जाता है।
शिक्षक और चिकित्सक की पुरानी भूमिका पर उदाहरण
अपने बचपन की घटना सुनाते हुए भागवत ने कहा कि एक बार मलेरिया के कारण वे बीमार पड़े, तो सरकारी स्कूल के शिक्षक घर आए, हालचाल लिया और अगले दिन जंगल से जड़ी-बूटी लाकर इलाज कराया। न वेतन मिला, न कोई इनाम—सिर्फ कर्तव्य भावना। इसी तरह पहले डॉक्टर मरीज से संवाद कर हिम्मत देते थे, केवल इलाज ही नहीं करते थे।
उन्होंने एक किस्सा सुनाया कि एक कैंसर मरीज के मित्र ने उसकी आर्थिक चिंता खत्म करने के लिए तुरंत 10 लाख रुपये का चेक दे दिया, जबकि खुद के पास इतने पैसे भी नहीं थे। यही असली समाज सेवा है, जो आज जरूरत बन गई है।
विश्व के 50-60 घरानों की साजिश पर चेतावनी
भागवत ने कहा कि आज कुछ अंतरराष्ट्रीय शक्तियां भारत के बाजार और समाज पर नियंत्रण पाना चाहती हैं। इनका मकसद भारतीय परिवार व्यवस्था को कमजोर करना है, जैसा यूरोप में हुआ। उन्होंने कहा, “भारत में धर्म और राष्ट्र एक ही हैं। हर हिंदू का सुख-दुख हमारा सुख-दुख है, और हमें जाति-पात से ऊपर उठकर समाज के उत्थान के लिए काम करना चाहिए।”
‘पंच परिवर्तन’ से समाज सुधार का आह्वान
इंदौर-उज्जैन संभाग के 180 समाज प्रमुखों के साथ सामाजिक सद्भाव बैठक में उन्होंने ‘पंच परिवर्तन’ का एजेंडा रखा—
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स्वदेशी जीवनशैली को बढ़ावा
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परिवार प्रबोधन
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पर्यावरण संरक्षण
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नागरिक अनुशासन
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सामाजिक समरसता
उन्होंने बताया कि 2 अक्टूबर को स्थापना दिवस पर देशभर में पथ संचलन, घर-घर संपर्क, हिंदू सद्भाव मिलन और जिला स्तरीय बुद्धिजीवी बैठकें होंगी, जहां इन लक्ष्यों को आगे बढ़ाने की रणनीति तय होगी।
जनभागीदारी से बनेगा अत्याधुनिक कैंसर केयर सेंटर
96 करोड़ रुपये की लागत वाला यह सेंटर दो चरणों में बनेगा। पहले चरण में 26 करोड़ रुपये से भवन का काम पूरा हो चुका है—इसमें दो बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर और तीन मंजिलें शामिल हैं। दूसरे चरण में हाईटेक मशीनरी और बाकी फ्लोर का निर्माण होगा। परियोजना में कंपनियों ने CSR के तहत और कई दानदाताओं ने स्वेच्छा से सहयोग दिया है।
भागवत के इस साल के इंदौर दौरे
यह इस साल उनका तीसरा इंदौर दौरा है। 3 जनवरी को ‘स्वर शतकम’ कार्यक्रम में शामिल होकर उन्होंने भारत को अग्रणी बनाने का संकल्प दोहराया था। 13 जनवरी को उन्होंने चंपत राय को देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करते हुए कहा था कि “रोजगार और खुशहाली का रास्ता राम मंदिर से होकर जाता है।”