बिहार: शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी का इस्तीफ़ा, भ्रष्टाचार के आरोपों पर विपक्ष ने बोला था हमला


मेवालाल चौधरी ने आज नीतीश कुमार से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। किन्तु उनके इस्तीफे का बाद भी विपक्ष का  हमला थमा नहीं है, बल्कि वह और तेज हो गया है। विपक्ष इसे जनता की जीत बता रहे हैं।


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बिहार में  नीतीश कुमार कैबिनेट से  शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।  मेवालाल 72 घंटे भी मंत्री नहीं रह पाए। मेवालाल चौधरी ने गुरुवार को ही अपना पदभार ग्रहण किया था। जबकि उन्हें मंगलवार को विभाग मिला था। मेवालाल चौधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं  जिसे लेकर आरजेडी सहित महागठबंधन में शामिल दलों ने नीतीश कुमार पर हमला बोला था।

चौधरी ने कहा कि “एक आरोप तभी साबित होता है जब चार्जशीट भरी जाती है या फिर एक कोर्ट कोई आदेश देता है और इन दोनों में से कोई भी चीज मेरे खिलाफ आरोपों को सिद्ध करने के लिए नहीं थी।”

मेवालाल चौधरी ने आज नीतीश कुमार से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। किन्तु उनके इस्तीफे का बाद भी विपक्ष का  हमला थमा नहीं है, बल्कि वह और तेज हो गया है। विपक्ष इसे जनता की जीत बता रहे हैं।

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने एक ट्वीट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखा है -मा. मुख्यमंत्री जी, जनादेश के माध्यम से बिहार ने हमें एक आदेश दिया है कि आपकी भ्रष्ट नीति, नीयत और नियम के खिलाफ आपको आगाह करते रहें। महज एक इस्तीफे से बात नहीं बनेगी। अभी तो 19 लाख नौकरी,संविदा और समान काम-समान वेतन जैसे अनेकों जन सरोकार के मुद्दों पर मिलेंगे। जय बिहार,जय हिन्द।

आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज कुमार झा ने कहा कि , “जनादेश के बाद मेवालाल चौधरी का शिक्षा मंत्री के तौर पर चयन मुख्यमंत्री के कमजोर होने की खुली बयानी था। बिहार को यह साफ संदेश गया कि कैबिनेट के गठन में इस तरह के चयनों के वर्चस्व के चलते इस सरकार से किसी भी तरह की उम्मीद नहीं की जा सकती है।”

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने 2017 में एक ऐसे मामले में उच्च नैतिक शक्ति हासिल करने की कोशिश की थी जो ठीक से भ्रष्टाचार भी नहीं था और वह महागठबंधन से अलग हो गए थे। जिसके नतीजे के तौर पर आरजेडी और कांग्रेस की तत्कालीन सरकार गिर गयी थी।

चौधरी के खिलाफ केस उस समय का है जब वह भागलपुर में बिहार कृषि  विश्वविद्यालय के उपकुलपति थे। उनके समेत 50 लोगों के खिलाफ 2017 में सेक्शन 409, 420, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामला 167 असिस्टेंट कम जूनियर साइंस्टों की नियुक्ति का था। जब 2010-15 के बीच वह नये-नये खुले विश्वविद्यालय के उपकुलपति बने थे। यह तब की बात थी। उन्होंने इसको अपने चुनावी एफिडेविट में घोषित भी किया था उसके साथ ही वह मुंगेर के तारापुर से विधायक चुने गए।

बता दें कि , मेवा लाल चौधरी को नीतीश कुमार मंत्रीमंडल में शिक्षामंत्री का पद दिए जाने के बाद आरजेडी सहित विपक्षी दलों और उनके लाखों समर्थकों ने सोशल मीडिया में जबरदस्त विरोध अभियान शुरू किये थे। मेवालाल के भ्रष्टाचार से जुड़ी पुरानी ख़बरें , गलत राष्ट्रगान गाने का वीडियो में  बीते दो दिनों से तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तैर रहे हैं।

 



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