तीन खांसी की सिरप में ज़हर मिला, 14 बच्चों की मौत से मचा हड़कंप


मध्य प्रदेश में २० से अधिक बच्चों की मौत के बाद जांच में तीन खांसी की सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) की ज़हरीली मात्रा पाई गई। WHO ने भारत की दवा जांच प्रणाली पर सवाल उठाए। जानिए पूरी रिपोर्ट।


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बड़ी बात Published On :

भारत में एक बार फिर खांसी की सिरप में ज़हरीले रसायन मिलने से हड़कंप मच गया है। मध्य प्रदेश में कम से कम २० से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि नौ अन्य बच्चों का इलाज जारी है। जांच में पता चला है कि बच्चों ने जिन सिरप का सेवन किया, उनमें डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) की मात्रा बेहद ज़्यादा थी — यह वही रसायन है जिससे 2022 में गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में दर्जनों बच्चों की जान गई थी।


क्या है मामला?

राज्य औषधि नियामक विभाग की जांच में सामने आया कि गुजरात की दो दवा कंपनियों और तमिलनाडु की एक कंपनी द्वारा बनाए गए सिरपों में DEG का स्तर अनुमेय सीमा से कई गुना ज़्यादा था।

  • रेडनेक्स फार्मास्यूटिकल (गुजरात) की Respifresh सिरप में DEG की मात्रा 1.3% पाई गई।

  • शेप फार्मा (गुजरात) की Relife सिरप में यह मात्रा 0.6% थी।

  • जबकि स्रेसन फार्मा (तमिलनाडु) की Coldrif सिरप में तो DEG का स्तर 48.6% तक पहुंच गया।

गौरतलब है कि किसी भी दवा में DEG की अधिकतम स्वीकृत सीमा 0.1% से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए।


कैसे हुआ खुलासा?

मध्य प्रदेश के शिवपुरी और गुना जिलों में पिछले महीने कई बच्चों में गुर्दे फेल होने के मामले आने लगे। जांच के बाद सामने आया कि सभी बच्चों ने एक ही कंपनी की खांसी की सिरप पी थी।
राज्य सरकार ने नमूने जांच के लिए भेजे, और रिपोर्ट आने पर पता चला कि सिरप में DEG की मात्रा विषैले स्तर पर थी।

इसके बाद पूरे प्रदेश में अभियान चलाकर इन सिरपों की 433 बोतलें ज़ब्त की गईं, जबकि 222 बोतलें पहले ही बिक चुकी थीं। अब प्रशासन उन परिवारों का पता लगा रहा है जिन्होंने यह सिरप खरीदा था।


क्या है DEG और इससे खतरा क्या है?

DEG एक औद्योगिक रसायन है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर एंटीफ्रीज़ और पेंट उद्योग में किया जाता है। दवा निर्माण में यह गलती से मिल सकता है जब कंपनियां महंगे रसायन polyethylene glycol (PEG) की जगह सस्ता औद्योगिक ग्रेड इस्तेमाल करती हैं।

DEG शरीर में जाकर किडनी और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है।
इससे पेट दर्द, उल्टी, भ्रम, पेशाब न आना जैसे लक्षण दिखते हैं और बच्चों में यह गुर्दे फेल्योर तक पहुंच सकता है।


नियामक एजेंसियों में खामियां उजागर

इस घटना ने भारतीय औषधि नियामक व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने 2022 में WHO की चेतावनी के बाद केवल निर्यात वाली दवाओं की जांच अनिवार्य की थी, जबकि घरेलू बाज़ार में बिकने वाली सिरप पर पर्याप्त जांच नहीं होती।

WHO ने भारत सरकार को दोबारा सचेत करते हुए कहा है कि “सिर्फ निर्यात के लिए नहीं, बल्कि देश के अंदर उपयोग हो रही दवाओं की गुणवत्ता की जांच भी सख्ती से होनी चाहिए।”


सरकार की कार्रवाई और आगे की राह

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने तीनों कंपनियों को नोटिस जारी कर उनके लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं।
राज्य स्तर पर तमिलनाडु, गुजरात और मध्य प्रदेश में इन सिरपों की बिक्री और वितरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में बेचे जा रहे बच्चों के सिरप के नमूने तत्काल जांच के लिए भेजें



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