भारत के इस राज्य में जल्द दिखेगा देश का पहला 3D प्रिंटेड पोस्ट ऑफिस, जानें क्या है इसकी खासियत

3डी पोस्ट ऑफिस का निर्माण लार्सन एंड टुब्रो द्वारा किया जा रहा है,जो वर्तमान में भारत में निर्माण के लिए 3D प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करने वाली एकमात्र कंपनी है।

3d printed post office

बेंगलुरु। बेंगलुरु में बहुत जल्द देश का पहला 3D प्रिंटेड पोस्ट ऑफिस बनकर तैयार हो जाएगा। पीएम मोदी ने बेंगलुरु के उल्सूर बाजार में बनने वाले भारत के पहले 3D प्रिंटेड भवन पोस्ट ऑफिस के निर्माण में 3D प्रिंट तकनीक के उपयोग की सराहना की।

उन्होंने ट्वीट कर कहा कि “इस उद्देश्य के लिए प्रौद्योगिकी के नए तरीकों का उपयोग होते देखना अच्छा है।”

बता दें कि 3D प्रिंटेड पोस्ट ऑफिस प्रिंटिंग के क्षेत्र में एक उभरती हुई तकनीक है, जिसके जरिये निर्माण प्रक्रिया को तेज करके और समग्र निर्माण गुणवत्ता को बढ़ाकर निर्माण की पुरानी प्रथाओं को बदला जा सकता है।

देश का पहला 3D पोस्ट ऑफिस –

बता दें कि बेंगलुरु के उल्सूर बाजार में देश का पहला 3डी पोस्ट ऑफिस तैयार हो रहा है और इसका निर्माण लार्सन एंड टुब्रो द्वारा किया जा रहा है,जो वर्तमान में भारत में निर्माण के लिए 3D प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करने वाली एकमात्र कंपनी है।

बता दें कि इस पोस्ट ऑफिस को बनाने में 25 लाख रुपये खर्च होंगे, जिससे अंतिम लागत में 25 प्रतिशत की कमी आएगी। 3D प्रिंट तकनीक का उपयोग करके डिजाइन किए गए डाकघरों के कामकाज में सामान्य डाकघरों से कोई अंतर नहीं होगा।

जानें क्या होती है 3D प्रिंटिंग –

3D प्रिंटिंग एक कंप्यूटर निर्मित डिज़ाइन है जिसको लेयर टू लेयर, थ्री डायमेंशनल (x-axis, y-axis,और Z-axis) डिज़ाइन तैयार करने के लिए किया जाता है और इसे 3D प्रिंटर की मदद से तैयार किया जाता है।

इसके साथ ही 3D प्रिंटिंग में इस्तेमाल होने वाले प्रिंटर Additive Manufacturing पर आधारित होते हैं। आमतौर पर जहां प्रिंटिंग मशीन में इंक और पन्नों की जरूरत होती है, वहीं 3D प्रिंटिंग में प्रिंट की जाने वाली वस्तु के आकार, रंग का निर्धारण कर उसी अनुरूप उसमें पदार्थ डाले जाते हैं।

आज 3D प्रिंटिंग तकनीक का प्रयोग खासकर सुरक्षा और एयरोस्पेस के क्षेत्र के अलावा विविध भागों के निर्माण में किया जा रहा है।

3D प्रिंटिंग क्यों महत्वपूर्ण है –

3D प्रिंटिंग का उपयोग छोटे शहरों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस तकनीक के जरिये छोटे,लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सकता है।

इस तकनीक के जरिये समय की भी बचत भी होगी और उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होगी। इसके अलावा निर्माण के दौरान पर्यावरण पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों में भी कमी आएगी।

बताते चलें कि वैश्विक स्तर पर वर्ष 2017 में वैश्विक 3D प्रिंटिंग बाज़ार तकरीबन 7.01 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था और औद्योगिक स्तर पर साल 2019 में बाज़ार में इसकी हिस्सेदारी लगभग 80 प्रतिशत थी।

First Published on: April 13, 2023 12:58 PM