
देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के भाजपा के ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विचार पर जारी राजनीतिक बहस के बीच, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने साफ किया कि चुनाव आयोग कानूनी प्रावधानों के तहत इसके लिए भी तैयार हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर भोपाल में संवाददाताओं से बात की। उन्होंने कहा, “हमारा काम समय से पहले चुनाव कराना है। वह समय संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में निर्धारित किया गया है।”
राजीव कुमार ने मध्य प्रदेश के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यहां कुल 230 विधानसभा सीटें हैं जिनमें 47 अनुसूचित जनजाति (एसटी) और 35 अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित हैं। राज्य में कुल 5.52 करोड़ मतदाता हैं – 2.85 करोड़ पुरुष, 2.67 करोड़ महिलाएं और 1,336 ट्रांसजेंडर।
प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा और प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस दोनों ही महिला मतदाताओं पर केंद्रित योजनाओं के साथ उन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। चुनाव आयोग चुनावों में महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए भी प्रयास कर रहा है। “हमने अपनी मतदाता सूची को समावेशी बनाने की कोशिश की है… इस बार हमारे पास 18.86 लाख नए मतदाता हैं जो एक अच्छा संख्या है। इसके अलावा हम महिला मतदाताओं पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। राज्य में 6920 मतदान केंद्र ऐसे हैं जहां महिलाओं का मतदान पुरुषों की तुलना में 10 प्रतिशत कम है, ऐसे में यहां ध्यान दिया जाना है। इसके अलावा और भी कई जागरूकता अभियान चलाए रहे हैं।’
मुख्य चुनाव अधिकारी ने जानकारी दी कि राज्य में आदिवासी सीटें निर्णायक साबित होती हैं क्योंकि उनकी आबादी लगभग 21 प्रतिशत है। चुनाव आयोग ने दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में भी मतदाताओं से हर 2 किमी की दूरी पर मतदान केंद्र बनाकर विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के मतदान प्रतिशत में सुधार लाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में तीन विशेष रुप से कमजोर जनजातीय समूह हैं, इनमें सहरिया, बहरिया और बैगा आदिवासी शामिल हैं।
चुनाव आयुक्त ने कहा कि इस बार ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को वोट फैसिलेशन सेंटर में ही देना होगा। उन्होंने कहा कि इस बार फेक न्यूज चलाकर गलत नैरेटिव बनाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
पोलिंग ड्यूटी में लगे हुए कर्मचारी अब फैसिलेशन सेंटर में ही वोट देंगे।
सोशल मीडिया पर गलत नैरेटिव बनाए जाते हैं। डीएम और एसपी को इस पर निगरानी रखने और फेक न्यूज फैलाने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं : मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री @rajivkumarec @ECISVEEP pic.twitter.com/0ybm38T5JF— CEOMPElections (@CEOMPElections) September 6, 2023
चुनाव आयोग फ्रीबीज़ यानी चुनावी फायदे के लिए मुफ्त में बांटे जाने वाले सामान पर भी नजर रखेगा। इसके लिए अलग से टीम बनाई जाएंगीं। इस दौरान विशेष रुप से राज्य की सीमाओं पर जांच होगी। इसके लिए 223 पुलिस की और 38 चेकपोस्ट ट्रांसपोर्ट विभाग की बनाई गईं हैं।
हमने विभिन्न एजेंसियों से मीटिंग कर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि फ्रीबीज़ का बंटना रोकने के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। इंटर स्टेट बॉर्डर पर निगरानी के लिए पुलिस की 223 और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की 38 चेकपोस्ट होंगी : मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री @rajivkumarec @ECISVEEP pic.twitter.com/seYNTjY5Uq
— CEOMPElections (@CEOMPElections) September 6, 2023
सीईसी ने आगे कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत, सरकार के 5 साल के कार्यकाल समाप्त होने से छह महीने पहले चुनावों की घोषणा की जा सकती है और राज्य विधानसभाओं के लिए भी ऐसी ही स्थिति है। कानूनी प्रक्रियाओं, संविधान और आरपी अधिनियम के अनुसार, हमें चुनाव कराने का अधिकार है और हम तैयार हैं।”
CEC Shri Rajiv Kumar and ECs Shri Anup Chandra Pandey and Shri Arun Goel reviews poll preparedness for forthcoming Assembly Elections in Madhya Pradesh with Chief Electoral Officer MP and SPNO at Bhopal today . #AssemblyElections2023 #MPAssemblyElections2023#ECI pic.twitter.com/zlgXlYiZdC
— Election Commission of India #SVEEP (@ECISVEEP) September 4, 2023
उल्लेखनीय है कि पिछले शनिवार को, केंद्र सरकार ने “राष्ट्रीय हित” का हवाला देते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए “एक साथ चुनाव कराने के लिए जांच करने और सिफारिशें करने” के लिए आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का नाम दिया। इस बीच देश में एक देश, एक चुनाव को लेकर बहस तेज़ है। पीएम मोदी पहले से ही इस व्यवस्था को लागू करने के हिमायती रहे हैं। हालांकि ऐसे में राज्य के स्थानीय मुद्दों पर राष्ट्रीय मुद्दों के हावी होने का खतरा जिसके चलते चुनाव प्रभावित हो सकते हैं।