देश भर में तेज हुआ किसानों का विरोध प्रदर्शन, 3 दिसंबर को देश में पुतला दहन और धरने होंगे


बार काउन्सिल ने भी मोदी सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इन कानूनों को वापस लेने की मांग की है। बार काउन्सिल के सीनियर एडवोकेट एच एस फुल्का ने कहा कि यह कानून किसान विरोधी हैं और वकीलों के खिलाफ़ भी हैं,  क्योंकि यह कानून सिविल कोर्ट के न्यायिक क्षेत्र में नहीं आता और किसानों को न्याय नहीं मिलेगा। 


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नई दिल्ली।  कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के तेज होते प्रदर्शन में कुछ और तेजी नजर आ रही है। अब इस आंदोलन को वकीलों का भी साथ मिल गया है। सरकार और 35 किसान यूनियनों के नेताओं के बीच 1 दिसंबर की वार्ता बेनतीजा समाप्त होने के बाद  3 दिसंबर को यानि गुरुवार को अगले दौर की बातचीत  होनी है। इससे पहले तय हुआ है कि कृषि विधेयकों पर  किसान अपनी समस्याएं और आपत्तियों को लिखकर सरकार को दें। अब इस बारे में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का बयान आया है।

कृषि मंत्री ने कहा -भारतीय किसान यूनियन को जो ड्राफ्ट देना था वो रात तक आएगा। हम इंतजार में हैं। जब उनका ड्राफ्ट आएगा तो हम कल उस पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि, कल 3 दिसंबर को किसान यूनियन के लोग आने वाले हैं, वो अपना पक्ष रखेंगे, सरकार अपना पक्ष रखेगी। देखते हैं कहां तक समाधान हो सकता है।

इस बीच आरएसएस से संबध भारतीय किसान संघ ने भी कहा कि एमएसपी की गारंटी देने वाला एक राष्ट्रीय कानून की जरुरत है जिसमें यह तय हो कि जो किसान अपना अनाज कहीं भी बेचने के लिए जाए चाहे मंडी हो या मंडी के बाहर लेकिन  उसे एमएसपी से नीचे नाम नहीं मिलना चाहिए।

वहीं बार काउन्सिल ने भी मोदी सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इन कानूनों को वापस लेने की मांग की है। बार काउन्सिल के सीनियर एडवोकेट एच एस फुल्का ने कहा कि यह कानून किसान विरोधी हैं और वकीलों के खिलाफ़ भी हैं,  क्योंकि यह कानून सिविल कोर्ट के न्यायिक क्षेत्र में नहीं आता और किसानों को न्याय नहीं मिलेगा।

क्रांतिकारी किसान यूनियन ने भी इन कानूनों को वापस लेने के लिए  संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।

उधर किसान  3 दिसंबर को मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना सहित देश भर में  पूंजीवाद और पूंजीवादियों के खिलाफ  प्रदर्शन की तैयारी में जुटे  हैं।

लोक संघर्ष मोर्चा ने  3  को पूरे  महाराष्ट्र  में  और 5 दिसंबर को गुजरात में  अडानी, अंबानी के साथ मोदी  के  पुतले दहन का ऐलान किया है।

 

 



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