किसान आंदोलन: सरकारी प्रस्ताव ख़ारिज, विरोध होगा तेज, 14 को राष्ट्रव्यापी आंदोलन

14 तारीख को बीजेपी कार्यालयों का भी घेराव किया जायेगा। सिंघु बॉर्डर पर आज किसान नेताओं की बैठक के बाद क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा -जो सरकार की तरफ से प्रस्ताव आया है उसे हम पूरी तरह से रद्द करते हैं।

किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव को रद्द करते हुए देश भर में रोज प्रदर्शन करने की घोषणा की है। मंगलवार शाम अमित शाह के साथ वार्ता  बेनतीजा खत्म होने के बाद किसान यूनियन के नेताओं  ने कहा था कि सरकार कृषि बिल वापस लेने को तैयार नहीं और आज सरकार के साथ होने वाली पूर्व निर्धारित वार्ता को भी रद्द कर दिया था। जिसके बाद नये कृषि कानूनों पर सरकार ने आज सुबह पांच बिन्दुओं का एक प्रस्ताव भेजा था जिस पर किसान नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर बैठक करने के बाद  उसे ख़ारिज करने की घोषणा करते हुए किसान यूनियन नेताओं ने 14 दिसंबर को पंजाब,हरियाणा, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश में  और 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर हाइवे  को जाम करने का ऐलान किया है।

14 तारीख को बीजेपी कार्यालयों का भी घेराव किया जायेगा। सिंघु बॉर्डर पर आज किसान नेताओं की बैठक के बाद क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा -जो सरकार की तरफ से प्रस्ताव आया है उसे हम पूरी तरह से रद्द करते हैं।

 

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी)  ने कहा है कि, सभी किसान संगठनों ने नए के रूप में दिये गये इस पुराने प्रस्ताव को नकार दिया है। एआईकेएससीसी व सभी किसान संगठनों ने तीन खेती के कानून व बिजली बिल 2020 को रद्द करने की मांग दोहराई है।

एआईकेएससीसी  ने कहा है कि, विरोध जारी रहेगा, दिल्ली में किसानों की संख्या बढ़ेगी, सभी राज्यों में जिला स्तर पर धरने शुरु होंगे और मोदी सरकार की नीतियों का खुलासा करने के लिए ‘सरकारी की असली मजबूरी अडाणी, अम्बानी, जमाखोरी’ के खिलाफ  अभियान चलाया जाएगा।

First Published on: December 9, 2020 6:51 PM