बिहार विधानसभा में आज फ्लोर टेस्ट, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के तीन नेताओं पर सीबीआई की दबिश

फ्लोर टेस्ट से पहले हो रही इस दबिश को एक किस्म की डर फैलाने की कार्रवाई के रुप में देखा जा रहा है। आरजेडी नेता शक्ति सिंह ने पहले ही इसकी आशंका व्यक्त की थी।

भोपाल। बिहार में भाजपा और जेडीयू का गठबंधन टूटने के बाद से ही उम्मीद की जा रही थी कि अब केंद्रीय जांच एजेंसियां किसी भी समय सक्रिय हो सकती हैं और बुधवार को ऐसा हो भी गया। ये तब हुआ जब विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है।

एजेंसियों ने भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद आरजेडी के चार नेताओं पर छापे मारे हैं। जिसके बाद सुबह से ही बिहार में राजनीतिक माहौल गर्म है। सीबीआई ने जिन नेताओं पर छापे मारे हैं उनमें  आरजेडी के सांसद अशफाक करीम और विधान पार्षद सुनील सिंह के अलावा RJD से ही राज्यसभा सांसद फैयाद अहमद और एमएलसी सुबोध राय के नाम हैं। वहीं आरजेडी और जेडीयू का आरोप है कि भाजपा अब अपनी एजेंसियों का डर दिखाकर बिहार सरकार को गिराना चाहती है और उनकी कोशिश है कि किसी तरह इन पार्टियों के विधायक टूटकर उनके पाले में आ जाएं। इस बीच भाजपा नेता विधानसभा के बाहर नए गठबंधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

आरजेडी के नेता शक्ति सिंह ने इसकी आशंका कुछ घंटों पहले ही ज़ाहिर की थी। उन्होंने कल रात को ही ट्वीट किया था कि सीबीआई और अन्य केंद्रीय एजेंसियां छापेमारी की तैयारी कर रही हैं क्योंकि बीजेपी बिहार में सत्ता गंवाने को लेकर ”उग्र” है। शक्ति सिंह यादव ने ट्वीट कर कहा था, बौखलाई हुई भाजपा के सहयोगी CBI, ED, IT बिहार में अतिशीघ्र ही रेड की तैयारी कर रहे है। पटना में जमावड़ा शुरू हो चुका है। कल का दिन महत्वपूर्ण है।

छापेमारी को लेकर आरजेडी एमएलसी और बिस्कोमान पटना के अध्यक्ष और लालूयादव के ख़ास सुनील सिंह ने कहा है कि ये कार्रवाईयां बेमतलब और जानबूझकर हो रहीं हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा यह सोचकर ऐसा कर रही है कि डर के मारे विधायक उनके पक्ष में आएंगे।

CBI में दर्ज यह मामला करीब 13 साल पुराना है। दरअसल यूपीए की पहली सरकार में लालू यादव के रेल मंत्री (2004-2009) रहने के दौरान उन पर प्लॉट और जमीन जैसे लाभ लेकर लोगों की भर्ती करने के आरोप लगे ते। इस मामले में CBI ने हालिया 18 मई 2022 को FIR दर्ज की थी।  इस मामले में लालू प्रसाद यादव के साथ उनके परिवार के सदस्यों राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव  सहित कुछ अन्य लोगों के नाम भी दर्ज हैं। मामले में सीबीआई ने लालू यादव के करीबी और उनके तत्कालीनी ओएसडी भोला यादव को गिरफ्तार किया था।

मामला दर्ज करने के बाद CBI ने इसी साल 17 ठिकानों पर छापेमारी की थी। आरोप यह है कि रेलवे में ग्रुप डी में नौकरी के बदले पटना में प्रमुख संपत्तियों को लालू के परिवार के सदस्यों को बेची या गिफ्ट में दी गई थी। आरोपों के मुताबिक जब लालू यादव रेल मंत्री थे तो रेलवे में पहले अस्थायी तौर पर नियुक्ति कराते थे और फिर जैसे ही जमीन की डील पूरी जाती थी नौकरी को स्थायी कर दिया जाता था। इस तरह से सैकड़ों लोगों और अपने सगे-संबंधियों को नौकरी देने का आरोप लालू यादव पर लगे हैं।

 

 

First Published on: August 24, 2022 11:22 AM