ब्रिटिश मेडिकल जर्नल लैन्सेट (The Lancet) की ताज़ा रिपोर्ट ने एक बार फिर भारत में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर और उसके जनस्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव को उजागर किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत में 17.18 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण से जुड़ी हुई थी। यह आँकड़ा 2010 की तुलना में 38% अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मौतों का बड़ा कारण मानव-निर्मित (anthropogenic) प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन का प्रयोग है।
लैन्सेट काउंटडाउन रिपोर्ट: जलवायु और स्वास्थ्य पर वैश्विक अध्ययन
यह निष्कर्ष The Lancet Countdown on Health and Climate Change 2025 रिपोर्ट का हिस्सा है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और 71 वैश्विक संस्थानों के 128 वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई।
रिपोर्ट में 58 संकेतकों के माध्यम से यह आकलन किया गया कि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और स्वास्थ्य एक-दूसरे से कैसे जुड़े हैं।
इसमें बताया गया कि वर्ष 2022 में जीवाश्म ईंधनों से निकले प्रदूषकों के कारण अकेले भारत में 7.52 लाख लोगों की मौत हुई — जिनमें से 3.94 लाख मौतों का कारण कोयले का उपयोग था। बिजली संयंत्रों से उत्पन्न प्रदूषण ने 2.98 लाख लोगों की जान ली। सड़क परिवहन में प्रयुक्त पेट्रोल से जुड़ा प्रदूषण 2.69 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार पाया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण से समयपूर्व मृत्यु के कारण 339.4 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹30 लाख करोड़) का आर्थिक नुकसान हुआ, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का करीब 9.5% है।
गर्मी और श्रम हानि का नया संकट
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि 2024 में भारत ने औसतन 19.8 हीटवेव दिवस झेले — जो रिकॉर्ड स्तर है।
गर्मी के कारण 247 अरब संभावित श्रम घंटे नष्ट हुए, जो 1990 के दशक की तुलना में 124% अधिक हैं।
कृषि क्षेत्र में 66% और निर्माण क्षेत्र में 20% श्रम क्षति दर्ज की गई, जिससे देश की उत्पादकता और आय दोनों प्रभावित हुईं।
वन क्षेत्र और पर्यावरणीय हानि
2001 से 2023 के बीच भारत ने 2.33 मिलियन हेक्टेयर (23.3 लाख हेक्टेयर) वृक्ष आच्छादन खोया।
साल 2023 में ही 1.43 लाख हेक्टेयर जंगल नष्ट हुए, जिनमें प्रमुख कारण अवैध वनों की कटाई और खनन बताए गए हैं।
सरकार के दावे और विरोधाभास
जहां लैन्सेट रिपोर्ट वायु प्रदूषण से मौतों के ठोस सबूत पेश करती है, वहीं भारत सरकार लगातार यह कहती आई है कि “वायु प्रदूषण से मौतों के प्रत्यक्ष आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।”
2024 और 2025 में पर्यावरण मंत्रालय ने संसद में कहा कि “ऐसा कोई निष्कर्षात्मक डेटा नहीं है जो यह साबित करे कि मौतें केवल वायु प्रदूषण से होती हैं।”
इसके बावजूद सरकारी संस्थान जैसे Indian Council for Medical Research (ICMR) और The Lancet Planetary Health ने पहले ही 2019 के अध्ययन में कहा था कि उस वर्ष भारत में 17.18 लाख मौतें (कुल मौतों का 18%) वायु प्रदूषण से संबंधित थीं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
लैन्सेट काउंटडाउन की कार्यकारी निदेशक डॉ. मरीना रोमानेलो ने कहा,
“हमारे पास समाधान मौजूद हैं। अगर हम कोयले और अन्य जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता तेजी से घटाएं और स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ें, तो लाखों जीवन बचाए जा सकते हैं।”



























