भोपाल। बीबीसी की विवादित डॉक्युमेंट्री इंडिया द मोदी क्वश्चन भारत में प्रतिबंधित है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के आलोचक इसे देख रहे हैं। मंगलवार रात इसे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी देखा गया। इस दौरान विद्यार्थियों का आरोप है कि विवि प्रशासन ने लाइट काट दी और इंटरनेट कनेक्शन बाधित किया। इसके बाद जब विद्यार्थी अपने मोबाइल और लैपटॉप पर इस फिल्म को देखने लगे तो उन पर पथराव किया गया। हमला किसने किया यह अब तक पता नहीं चल सका है क्योंकि पत्थर फेंकने वाले मौके से भाग गए। इसके बाद छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस मामले में 25 अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। जेएनयू की प्रेसिडेंट आइसी घोष ने भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पर पत्थरबाज़ी का आरोप लगाया है।
इस बीच ब्रिटेन में बीबीसी ने अपनी इस डॉक्युमेंट्री का दूसरा भाग रिलीज कर दिया है। दूसरा भाग, ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ जिसमें 2014 के बाद से भारत के मुसलमानों के साथ-साथ देश में सांप्रदायिक विषयों में मोदी सरकार की भूमिका की तस्दीक की गई है। हालांकि इस डॉक्यूमेंट्री का खुद ब्रिटेन के भारतीय मूल के पीएम ऋषि सुनक ने विरोध किया है और इसे इकतरफ़ा बताया है। उन्होंने कहा कि यह “निरंतर औपनिवेशिक मानसिकता” को दर्शाता है। यूके में इस डॉक्यूमेंट्री की जांच की भी मांग की गई है।
डॉक्यूमेंट्री का दूसरा भाग एक घंटे का है जो बीबीसी टू पर मंगलवार रात 9 बजे प्रसारित हुआ। इस दूसरे भाग में पहले भाग के कुछ दृश्यों के बाद भारत में मोदी सरकार और मुस्लिम अल्पसंख्यक के बीच संबंधों में आ रहे बदलावों पर चर्चा की जा रही है। इसमें झारखंड में 2017 में लिंचिंग को भी दिखाया गया है और 2019 में भाजपा की जीत पर बात की गई है। इसके बाद अमेरिका की पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दृश्य भी दिखाए गए हैं।
इसके अलावा इसमें जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने, एनआरसी, सीएए, दिल्ली दंगे आदि विषयों पर चर्चा की जा रही है। इस एपिसोड में इन मामलों में पीड़ित रहे या आरोपी बनाए गए लोगों के इंटरव्यू भी हैं। इसके अलावा एपिसोड में प्रदर्शनकारियों को पीटते हुए सुरक्षा बलों की तस्वीरें भी हैं। इसके अलावा वह हिस्से भी हैं जहां प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। दूसरे भाग में प्रदर्शनकारियों, एनआरसी के तहत हिरासत में लिए गए परिवारों और 2020 की दिल्ली हिंसा के दौरान कथित तौर पर पुलिस के हाथों मारे गए लोगों के परिजनों के साक्षात्कार भी शामिल हैं।