
इंदौर के प्रेस क्लब में गुरुवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब एक सामाजिक संगठन हाउल ग्रुप के सदस्यों पर कुछ कथित दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया। यह हमला उस वक्त हुआ जब संगठन ने अपने ऊपर लगे धर्मांतरण के आरोपों के खिलाफ प्रेस वार्ता बुलाई थी। घटना का वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया है, जिसमें कुछ हमलावरों द्वारा सदस्यों की पिटाई और उनके चेहरे पर कालिख पोतने के दृश्य देखे जा सकते हैं।
हाउल ग्रुप, जो पिछले पाँच वर्षों से देवास जिले के शुक्रवासा गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और मानवाधिकार जैसे क्षेत्रों में काम कर रहा है, के खिलाफ कुछ समय से “धार्मिक रूपांतरण” का आरोप लगाया जा रहा है। समूह ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे एक “दुष्प्रचार अभियान” बताया है। संगठन के संस्थापक सौरव बनर्जी ने प्रेस को बताया, “हमारे ऊपर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं। कोई भी व्यक्ति सामने लाकर दिखा दे जिसे हमने धर्म बदला हो।”
पुलिस की भूमिका और पहले की घटनाएँ
24 जुलाई की घटना के दो दिन पहले, 22 जुलाई को हाउल ग्रुप के कैंपस में पुलिस द्वारा एक कथित रूप से बिना वारंट की छापेमारी की गई थी। इस दौरान पाँच सदस्यों को हिरासत में लिया गया और दस्तावेजों की तलाशी ली गई। संगठन ने इसे “असंवैधानिक” करार देते हुए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है।
हिरासत में लिए गए लोगों में एक पत्रकार, एक फिल्मकार और एक छात्र भी शामिल थे, जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया। हालांकि, संगठन का दावा है कि उनके मोबाइल फोन और अन्य निजी वस्तुएं अब भी पुलिस के पास हैं।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
घटना के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं। बजरंग दल के एक स्थानीय नेता ने प्रेस क्लब में मौजूद रहकर हाउल ग्रुप पर “हिंदू युवाओं को ईसाई बनाने” और “परिवारों से दूर करने” का आरोप लगाया। वहीं दूसरी ओर, कई मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला बताया है।
पूरे विवाद की शुरुआत मई महीने में एक स्थानीय अखबार सांझा लोकस्वामी में छपे एक लेख से हुई, जिसमें हाउल ग्रुप पर धर्मांतरण, नक्सलवाद और जातिवाद जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे, बिना किसी ठोस साक्ष्य के। हाउल ग्रुप का दावा है कि ये लेख दो व्यक्तियों द्वारा छापा गया था जो खुद को पत्रकार बताकर उनके कैंपस में घुसे थे।
पुलिस की चुप्पी और जांच
इंदौर पुलिस और देवास पुलिस दोनों ही अब तक इस मामले में कोई औपचारिक एफआईआर दर्ज नहीं कर पाई हैं। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरनारायण बाथम ने कहा है कि “मामले की जांच चल रही है और सभी पक्षों के बयान लिए जा रहे हैं।” परंतु हाउल ग्रुप का आरोप है कि जब भी वे न्याय मांगने जाते हैं, तो उल्टा उन्हीं पर जांच बैठा दी जाती है।