
इंदौर के रहने वाले राजा रघुवंशी की हत्या के मामले में उनकी पत्नी सोनम रघुवंशी को मेघालय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी तब हुई जब करीब दो हफ्तों तक ‘लापता’ रही सोनम ने उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर जिले में खुद पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
मेघालय पुलिस महानिदेशक आई नोंगरंग ने सोमवार को प्रेस को जानकारी देते हुए कहा कि हत्या की साजिश में कुल चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है—इनमें राजा की पत्नी सोनम और तीन सुपारी किलर शामिल हैं।
प्यार, विश्वास और फिर मौत
राजा और सोनम की शादी कुछ ही दिन पहले मध्यप्रदेश में हुई थी। इसके बाद दोनों हनीमून पर मेघालय गए, लेकिन 23 मई को दोनों अचानक लापता हो गए। 2 जून को राजा का शव शिलॉन्ग के पास चेरापूंजी के सोहरारीम घाटी में एक गहरी खाई से बरामद किया गया।
इस बीच सोनम गायब थी। अब पुलिस का कहना है कि उसी सोनम ने तीन लोगों को राजा की हत्या के लिए सुपारी दी थी। सोनम की गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश के नंदगंज थाने से हुई, जबकि बाकी तीनों को इंदौर और यूपी से पुलिस की विशेष टीम ने दबोचा।
साजिश की परतें खुलीं तो चौंक गए सब
CCTV फुटेज, स्थानीय गाइड की गवाही और कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स ने इस पूरी हत्या की परतें खोल दीं। एक स्थानीय ट्रैकर ने पुलिस को बताया कि उसने राजा और सोनम को तीन अन्य पुरुषों के साथ देखा था। ये चारों मावलाखियात इलाके में घूमते हुए देखे गए थे—वही इलाका जहाँ बाद में राजा की लाश मिली।
पुलिस के मुताबिक सोनम ने तीनों हत्यारों को मेघालय बुलाया और हनीमून के दौरान ही राजा की हत्या की योजना बनाई।
परिवार ने लगाई CBI जांच की गुहार
राजा रघुवंशी के भाई विपुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि मेघालय पुलिस पूरे मामले में न्याय नहीं दिला पाएगी।
राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रियाएं
मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने पुलिस की जांच की सराहना करते हुए कहा कि, “सात दिनों के भीतर मेघालय पुलिस ने इस संवेदनशील हत्याकांड में बड़ा खुलासा कर लिया है। अभी एक और आरोपी की तलाश जारी है।”
क्या ये मामला ‘इमोशनल मर्डर’ नहीं बल्कि ‘क्लिनिकल किलिंग’ था?
यह केस सिर्फ आपसी विवाद या गुस्से में उठाया गया कदम नहीं लगता। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूरी साजिश की तैयारी पहले से की गई थी। सोनम ने हत्यारों को बुलवाया, उन्हें जगह दिखाई, शायद रास्ते भी बताए और फिर खुद को गायब कर लिया।
यह वो तरह की हत्या है जो भारतीय समाज में स्त्री और विवाह की धारणा को झकझोरती है—जहाँ विवाह अब सुरक्षित बंधन नहीं बल्कि संभावित अपराध का मंच बनता दिख रहा है।
हमारा सवाल — हनीमून के नाम पर हत्या का हक किसे दिया गया?
क्या यह मामला केवल ‘एक और हत्या’ है या यह उस बदलते समाज का संकेत है जहाँ रिश्तों की बुनियाद अब भरोसे से ज़्यादा छल पर टिकी है?