किसान आंदोलनः ‘तानाशाह मोदी’ से दुखी वकील ने टिकरी बॉर्डर पर की आत्महत्या

संत बाबा राम सिंह के बाद किसान आंदोलन के प्रति सरकार के अमानवीय व्यवहार से दुखी होकर अब एक वकील अमरजीत सिंह ने दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर आत्महत्या कर ली है। जलालाबाद (फाजिल्का) बार एसोसिएशन सदस्य एडवोकेट अमरजीत सिंह ने सुसाइड नोट में इसके लिए किसान आंदोलन के प्रति सरकार की उदासीनता को जिम्मेदार बताया है।

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– वकील ने ‘तानाशाह मोदी’ की ‘गूंगी बहरी चेतना को जगाने’ के लिए दे दी जान! पढ़ें सुसाइड नोट
नई दिल्ली। भगत सिंह ने बहरी ब्रिटानिया हुकूमत को सुनाने के लिए असेंबली में बम फेंका था। फाजिल्‍का के वकील अमरजीत सिंह ने भारत के निज़ाम की ‘गूंगी-बहरी चेतना को जगाने के लिए’ अपनी जान दे दी।

संत बाबा राम सिंह के बाद किसान आंदोलन के प्रति सरकार के अमानवीय व्यवहार से दुखी होकर अब एक वकील अमरजीत सिंह ने दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर आत्महत्या कर ली है।

जलालाबाद (फाजिल्का) बार एसोसिएशन सदस्य एडवोकेट अमरजीत सिंह ने सुसाइड नोट में इसके लिए किसान आंदोलन के प्रति सरकार की उदासीनता को जिम्मेदार बताया है।

अमरजीत सिंह ने अपने सुसाइड नोट का शीर्षक दिया है- “तानाशाह मोदी के नाम पत्र”!

सुसाइड करने वाले वकील अमरजीत सिंह ने लिखा है कि “भारत के लोगों ने आपको पूर्ण बहुमत दिया कि आप उनकी जिंदगी को समृद्ध बनाएं लेकिन आप अम्‍बानी और अडानी के प्रधानमंत्री बन गये। आपके तीन कृषि कानूनों से किसान और मजदूर खुद को छला गया महसूस कर रहे हैं। लोग सड़कों पर अपनी पीढि़यों के लिए उतरे हुए हैं।”

उन्‍होंने लिखा है –

कुछ पूंजीपतियों का पेट भरने के लिए आपने आम लोगों और खेतीबाड़ी को तबाह कर डाला है जो कि भारत की रीढ़ है। कृपया कुछ पूंजीपतियों के हित के लिए आम आदमी, किसान और मजदूर की रोटी न छीनें और उन्‍हें सल्‍फास खाने पर विवश न करें। सामाजिक रूप से आपने जनता को धोखा दिया और राजनीतिक रूप से आपने शिरोमणि अकाली दल जैसे सहयोगी दलों को धोखा दिया है।

अमरजीत लिखते हैं –

सुनिए, जनता की आवाज़ ही ईश्‍वर की आवाज़ है। कहते हैं कि आपको गोधरा जैसी कुरबानियों की चाह है, तो मैं इस विश्‍वव्‍यापी विरोध के समर्थन में अपना बलिदान दे रहा हूं ताकि आपकी गूंगी बहरी चेतना जाग सके।

ट्रिब्‍यून के अनुसार अमरजीत सिंह ने ज़हर पी लिया था। हालत बिगड़ने पर उन्‍हें रोहतक के सरकारी अस्‍पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गयी। सुसाइड नोट उनकी जेब से मिला।

गौरतलब है कि विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ बीते एक महीने से जारी किसानों के आंदोलन में अब तक करीब 50 किसानों की अलग-अलग कारणों से मौत हो चुकी है। बीते 16 तारीख को कुंडली बॉर्डर पर संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार कर ख़ुदकुशी कर ली थी।

सौजन्यः जनपथ.कॉम

First Published on: December 27, 2020 4:25 PM