चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान से हुई। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य सीमापार आतंकी ठिकानों को तबाह करना था, और हमारी सेनाओं ने यह लक्ष्य सफलतापूर्वक हासिल किया। पाकिस्तान से हमने किसी दबाव में आकर सीजफायर नहीं किया।” उन्होंने एक तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “परीक्षा में रिजल्ट मायने रखता है, कितनी पेंसिल टूटी या पेन गुमे, ये बेमानी बात है।”
राजनाथ सिंह ने भारत की आतंकवाद पर नीति को दोहराते हुए कहा, “हमारी सरकार की नीति है — जीरो टॉलरेंस टू टेररिज्म। हम न आतंकी संगठनों को बख्शेंगे, न उन्हें पनाह देने वाले देशों को।” उन्होंने कहा कि जब मुंबई हमला हुआ था (2008), तब की सरकार ने अपेक्षित कदम नहीं उठाए, लेकिन 2014 के बाद मोदी सरकार के आने के बाद स्थितियां बदलीं। “उरी में सर्जिकल स्ट्राइक हो या बालाकोट में एयर स्ट्राइक — हमने बता दिया कि भारत अब नई नीति पर चलेगा। जरूरत पड़ी तो घर में घुसकर मारेंगे।”
सिंह ने पाकिस्तान पर करारा हमला बोलते हुए कहा, “वह देश जो खुद लोकतंत्र से खाली है, जहां धार्मिक उन्माद, गोलियों की आवाजें और आतंकवाद की नर्सरी पलती है, उसके साथ बातचीत नहीं हो सकती।” उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान की सेना और आईएसआई भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर चला रहे हैं। “यह मोदी जी का भारत है — जो शांति का प्रयास भी जानता है और शांति भंग करने वालों को जवाब देना भी।”
वहीं विपक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार की नीतियों पर तीखे सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “इस चर्चा का मकसद सच्चाई सामने लाना है — ऑपरेशन सिंदूर की, पहलगाम हमले की और विदेश नीति की। राजनाथ सिंह ने कई बातें कहीं, लेकिन यह नहीं बताया कि आखिर आतंकी कैसे घुसे?”
गोगोई ने पूछा, “पांच दहशतगर्द कैसे आए, और कैसे उन्होंने 26 निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया? क्या खुफिया तंत्र फेल हुआ?” उन्होंने सरकार से पूछा कि इन आतंकियों का मकसद क्या था — क्या वे भारत में सांप्रदायिक तनाव फैलाना चाहते थे?
गौरव गोगोई ने जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा, “हमने देखा कि कैसे स्थानीय लोगों ने पर्यटकों की मदद की, उन्हें अस्पताल पहुंचाया। पूरे देश ने जम्मू-कश्मीर के लोगों का आभार व्यक्त किया — यही हमारी संस्कृति है।”
ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में चली बहस इस बात का संकेत है कि सुरक्षा और रणनीति पर अब विपक्ष भी कड़े सवाल पूछने को तैयार है। जहां सरकार इसे आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई मानती है, वहीं विपक्ष इससे जुड़ी खामियों और सवालों को सदन के पटल पर लाना चाहता है। पहलगाम हमले की पूरी सच्चाई और आतंकी घुसपैठ के पीछे की कहानी अब राष्ट्रीय बहस का विषय बन चुकी है।