
संसद के मानसून सत्र में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर तकरार देखने को मिली। जहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना की कार्रवाई को ‘धर्म की रक्षा में उठाया गया सुदर्शन चक्र’ बताया, वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि “विपक्ष अगले 20 साल तक वहीं बैठा रहेगा।” दूसरी ओर, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार से पहलगाम हमले की सच्चाई पर सवाल उठाए।
राजनाथ सिंह का जवाब: “हमने सुदर्शन चक्र उठा लिया है”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य सीमा पार आतंकी ठिकानों को तबाह करना था और हमारी सेना ने यह लक्ष्य पूरी मजबूती से हासिल किया। हमने पाकिस्तान से किसी दबाव में आकर सीजफायर नहीं किया।”
उन्होंने कहा, “हमारी सरकार की नीति आतंकवाद को लेकर जीरो टॉलरेंस की है। जब ज़रूरत पड़ी, हमने उरी और बालाकोट जैसी कार्रवाई की। यह मोदी जी के नेतृत्व वाला भारत है जो शांति भी चाहता है और शांति भंग करने वालों को सबक भी सिखाना जानता है।”
अमित शाह का विपक्ष पर हमला: “विदेशी नेताओं पर भरोसा, अपने पर नहीं”
चर्चा के दौरान जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्टीकरण दिया कि अमेरिका या ट्रंप ने सीजफायर में कोई भूमिका नहीं निभाई, तब विपक्ष ने बीच में हस्तक्षेप किया। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
अमित शाह ने कहा, “मुझे आपत्ति है कि विपक्ष को अपने विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं, लेकिन किसी और देश पर है। यही वजह है कि ये विपक्ष में हैं और वहीं रहेंगे — अगले 20 साल तक।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “जिस तरह से विपक्ष हर बात में विदेशी एजेंडा देखता है, वही उनकी राजनीतिक विफलता का कारण है।”
गौरव गोगोई का सवाल: “हमले की सच्चाई सदन में क्यों नहीं आ रही?”
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने चर्चा के दौरान कहा कि “राजनाथ सिंह ने बहुत बातें कहीं लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि पहलगाम में आतंकी कैसे आए। 5 दहशतगर्दों ने 26 पर्यटकों को कैसे निशाना बनाया, इसका जवाब सदन को नहीं मिला।”
गोगोई ने कहा, “हमारा कर्तव्य है कि हम सरकार से जवाब मांगें। देश जानना चाहता है कि आतंकी भारत में कैसे घुसे? क्या खुफिया तंत्र फेल हुआ? क्या उनका उद्देश्य भारत में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना था?”
जयशंकर का खंडन: “मोदी-ट्रंप के बीच कोई कॉल नहीं हुआ”
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्रंप के कथित मध्यस्थता वाले बयान को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा, “22 अप्रैल से 17 जून के बीच प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई।” उन्होंने साफ किया कि अमेरिका का सीजफायर से कोई लेना-देना नहीं है।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद में जो चर्चा हुई, उसने साफ कर दिया कि भारत की आतंकी नीति पर सरकार और विपक्ष की सोच में गहरी खाई है। जहां सरकार इस ऑपरेशन को निर्णायक कार्रवाई मान रही है, वहीं विपक्ष इससे जुड़े सवालों को नजरअंदाज नहीं करना चाहता।