राहुल गांधी भोपाल दौरा: कांग्रेस में संगठनात्मक क्रांति की शुरुआत, 2028 की तैयारी


भोपाल में राहुल गांधी ने संगठन सृजन अभियान की शुरुआत करते हुए कांग्रेस में बड़े बदलावों का ऐलान किया। जिलाध्यक्ष चयन प्रक्रिया से लेकर पीएम मोदी पर हमले तक, जानिए इस दौरे के राजनीतिक मायने और 2028 की रणनीति।


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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने संगठन सृजन अभियान की शुरुआत करते हुए पार्टी में ऐतिहासिक बदलावों का एलान किया है। यह दौरा सिर्फ एक औपचारिक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि कांग्रेस की 2028 की सत्ता वापसी की रणनीति का शुरुआती संकेत है। राहुल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब पार्टी को पुराने तरीकों से नहीं, बल्कि एक ठोस, अनुशासित और ऊर्जा से भरपूर ढांचे के साथ आगे बढ़ना होगा।

 

कांग्रेस में बड़े बदलाव की शुरुआत

राहुल गांधी ने मंच से एलान किया कि अब जिला अध्यक्षों की नियुक्ति दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षकों और स्थानीय नेताओं की चर्चा के बाद ही होगी। उन्होंने पुराने सिस्टम पर तंज कसते हुए कहा, “अब कोई भी किसी नेता का सहायक बनकर जिला अध्यक्ष नहीं बन पाएगा।”

राहुल ने बताया कि नए जिलाध्यक्ष केवल पदाधिकारी नहीं होंगे, बल्कि संगठन के मजबूत स्तंभ होंगे—जिनकी राय विधानसभा और लोकसभा उम्मीदवारों के चयन में निर्णायक होगी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी अब ब्लॉक स्तर तक पहुंचेगी और संगठन की रीढ़ को गांव-गांव में खड़ा किया जाएगा।

 

“तीन तरह के घोड़े”: राहुल की नई संगठनात्मक परिभाषा

 

राहुल गांधी ने बेहद प्रतीकात्मक अंदाज में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं की तीन श्रेणियां बताईं:

1. बारात वाले घोड़े – जो सिर्फ शो के लिए हैं।

2. रेस वाले घोड़े – जो असल मेहनत और मुकाबले के लिए बने हैं।

3. लंगड़े घोड़े – जो अब थक चुके हैं और संगठन को आगे नहीं ले जा सकते।

 

उन्होंने कहा, “अब बारात वाले को रेस में और रेस वाले को बारात में नहीं भेजा जाएगा। जो लंगड़े और थके हुए हैं, उन्हें अलग करना ही होगा। कांग्रेस को अब ऐसे घोड़े चाहिए जो दौड़ सकें, न कि सिर्फ दिखें।”

 

 55 नए नेताओं की तलाश

राहुल ने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस को 55 मजबूत और ऊर्जावान नेताओं की जरूरत है। उन्होंने साफ किया कि पार्टी अब उन चेहरों को आगे लाएगी जो जमीनी स्तर पर काम करने को तैयार हों और जिनमें भाजपा को चुनौती देने का माद्दा हो। राहुल ने कहा कि राज्य में ऐसे कई नेता हैं, लेकिन उनके हाथ बंधे हुए हैं—अब उन्हें खुला मैदान मिलेगा।

 

 गुजरात मॉडल का जिक्र

राहुल गांधी ने गुजरात में कांग्रेस द्वारा किए गए संगठनात्मक बदलावों का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां जिलाध्यक्ष बनाने की प्रक्रिया पारदर्शी और लोकतांत्रिक रही। उन्होंने कहा कि वहां कार्यकर्ताओं, नेताओं और वरिष्ठों से बातचीत के बाद ही किसी को जिम्मेदारी दी गई। यह मॉडल अब मध्य प्रदेश में भी लागू किया जाएगा।

 

 जीतू पटवारी और राहुल की मजबूत जुगलबंदी

राहुल गांधी के साथ इस अभियान की अगुवाई कर रहे हैं मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी। दोनों नेताओं की एकजुटता और विचारधारा की साम्यता ने कार्यकर्ताओं में एक नया उत्साह पैदा किया है। पटवारी ने राहुल के दौरे को भारतीय राजनीति का “ऐतिहासिक दिन” बताया और कहा कि यह केवल भाषणबाजी नहीं, बल्कि संगठन की आत्मा को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया है।

 

केंद्र सरकार और पीएम मोदी पर हमला

राहुल गांधी ने इस अवसर पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना की मांग को लेकर उन्होंने मोदी सरकार को मजबूर किया कि वह संविधान का सम्मान करे। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ट्रंप के फोन कॉल पर भी राहुल ने मोदी को घेरा और उन्हें “सरेंडर करने वाला” करार दिया।

 

 2028 की तरफ कांग्रेस का रोडमैप

2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस अब 2028 के लिए मैदान तैयार कर रही है। राहुल गांधी का यह दौरा पार्टी के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। संगठन को फिर से खड़ा करने, आंतरिक गुटबाजी को खत्म करने और जनता से सीधे जुड़ने की रणनीति के साथ कांग्रेस एक बार फिर मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी का सपना देख रही है