
कश्मीर के सीमावर्ती ज़िले पुंछ में हाल ही में हुई पाकिस्तान की गोलाबारी और इसके बाद हुए भारतीय जवाबी कार्रवाई ने दर्जनों लोगों की ज़िंदगी उजाड़ दी। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 25 मई को खुद पुंछ जाकर प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और अब उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हुए एक ठोस और उदार राहत एवं पुनर्वास पैकेज की मांग की है।
सीमा पर तनाव, पुंछ में तबाही
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई में पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में सैन्य लक्ष्य निशाना बनाए गए थे। इसके बाद सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेष रूप से पुंछ में पाकिस्तान की ओर से भारी गोलाबारी हुई, जिसमें कई आम नागरिकों की जान गई और सैकड़ों घर, दुकानें, स्कूल और धार्मिक स्थल क्षतिग्रस्त हो गए।
राहुल गांधी का पत्र: “यह राहत नहीं, सरकार की ज़िम्मेदारी है”
गुरुवार (29 मई) को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में राहुल गांधी ने पुंछ की स्थिति को एक “बड़ी त्रासदी” बताया। उन्होंने लिखा:
“इस अचानक और अंधाधुंध हमले ने पुंछ और आसपास के इलाकों में भीषण तबाही मचाई है। सैकड़ों मकान, दुकानें, स्कूल और धार्मिक स्थान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। कई पीड़ितों ने बताया कि उनकी वर्षों की मेहनत एक झटके में खत्म हो गई।
गांधी ने आगे लिखा कि पुंछ और अन्य सीमावर्ती इलाके दशकों से शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और भाईचारे का प्रतीक रहे हैं, और अब जब ये क्षेत्र संकट में हैं, तो उन्हें पुनर्वास देना सरकार का कर्तव्य है।
“भारत एक है” — पुंछ यात्रा का वीडियो साझा कर बोले राहुल गांधी
राहुल गांधी ने अपनी पुंछ यात्रा का एक वीडियो भी X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए लिखा:
पुंछ का दर्द वहीं जाकर महसूस किया जा सकता है। टूटे हुए घर, बिखरी ज़िंदगियां — इस दर्द की गूंज से सिर्फ एक आवाज़ निकलती है — हम सब भारतीय एक हैं।
मैं अनुरोध नहीं कर रहा, सरकार को उसकी ज़िम्मेदारी याद दिला रहा हूं — पुंछ और अन्य प्रभावित इलाकों के लिए एक ठोस, उदार और तात्कालिक राहत एवं पुनर्वास पैकेज तैयार किया जाए।”
राहत का इंतजार और जिम्मेदारी की मांग
पुंछ के लोग इस समय मानवता की सबसे बुनियादी ज़रूरत – सुरक्षा और पुनर्निर्माण की मांग कर रहे हैं। राहुल गांधी की यह पहल न सिर्फ सियासी सन्देश है, बल्कि सरकार के सामने एक गंभीर सामाजिक-संवेदनशील मुद्दे को फिर से उठाने का प्रयास भी है।
अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्र सरकार इस अपील पर क्या प्रतिक्रिया देती है। पुंछ के लोगों की नज़र अब दिल्ली की ओर है।