आईएनएस विक्रांत पर ‘नाइट लैंडिंग’ का हुआ सफल परीक्षण, स्वदेशी उपकरण का सफल इस्तेमाल


सफलतापूर्वक परीक्षण में स्वदेशी विमान वाहक पोत से प्रकाश सहायक उपकरण और शिपबोर्न सिस्टम सिद्ध हुए। इसके साथ ही आईएनएस विक्रांत से नाइट ऑपरेशन का संचालन किये जाने की भी शुरुआत हुई है।


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नई दिल्ली। देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर पहली बार रात के समय कामोव 31 हेलिकॉप्टर उतार कर ‘नाइट लैंडिंग’ का सफल परीक्षण किया गया है।

आईएनएस विक्रांत पर किए गए सफलतापूर्वक परीक्षण ने साबित कर दिया कि यह रात के समय में सुरक्षित लैंडिंग कर सकता है।

सुरक्षा के लिहाज से नाइट लैंडिंग ट्रायल काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि परीक्षण के दौरान स्वदेशी प्रकाश सहायक उपकरण और शिपबोर्न सिस्टम का इस्तेमाल किया गया, जो पूरी तरह सफल सिद्ध हुए।

इससे पहले 6 फरवरी को ‘एलसीए नेवी’ की दिन में लैंडिंग और टेक ऑफ का परीक्षण किया जा चुका है। लड़ाकू विमानों के परीक्षण पूरे होने के बाद आईएनएस विक्रांत जून तक पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएगा।

पिछले साल नौसेना में हुआ था शामिल –

आईएनएस विक्रांत को पिछले साल सितंबर में नौसेना में शामिल किया गया था लेकिन विमान वाहक पोत के डेक से लड़ाकू विमानों की लैंडिंग और टेक ऑफ का परीक्षण न होने से यह पूरी तरह से चालू नहीं था इसलिए आईएनएस विक्रांत पर फाइटर जेट लैंड और टेक ऑफ करने के परीक्षण शुरू किये गए।

इसी क्रम में भारतीय नौसेना के पायलटों ने 6 फरवरी को आईएनएस विक्रांत पर स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान ‘एलसीए नेवी’ को सफलतापूर्वक लैंड और टेक ऑफ करने का सफल परीक्षण किया। स्वदेश में ही निर्मित विमान वाहक पोत पर स्वदेशी लड़ाकू विमान संचालित करके भारत ने अपनी क्षमता का एक साथ अनूठा प्रदर्शन किया।

दिन में लैंडिंग का परीक्षण पहले ही हो चुका है –

विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर दिन में लड़ाकू विमानों की लैंडिंग और टेक ऑफ के परीक्षण होने के बाद अब नाइट लैंडिंग का सफल ट्रायल किया गया है।

आईएनएस हंसा से नेवल फ्लाइट टेस्ट स्क्वाड्रन के पायलटों और एयर टेक ऑफिसर की टीम ने आईएनएएस 339 (फाल्कन्स) के कामोव 31 हेलिकॉप्टर की पहली नाइट लैंडिंग के साथ एक और कामयाबी हासिल की है।

यह परीक्षण 28 मार्च को किया गया था, जिसका आधिकारिक तौर पर अब खुलासा किया गया है। सफलतापूर्वक परीक्षण में स्वदेशी विमान वाहक पोत से प्रकाश सहायक उपकरण और शिपबोर्न सिस्टम सिद्ध हुए। इसके साथ ही आईएनएस विक्रांत से नाइट ऑपरेशन का संचालन किये जाने की भी शुरुआत हुई है।

आईएनएस विक्रांत पर मिग-29 होंगे तैनात –

आईएनएस विक्रांत पर फिलहाल 12 मिग-29के तैनात किए जाने की संभावना है, लेकिन इस पोत के लिए भारत खुद स्वदेशी जुड़वां इंजन वाले डेक-आधारित लड़ाकू (TEDBF) विकसित करेगा।

नौसेना इस परियोजना पर रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) और वैमानिकी विकास एजेंसी के साथ काम कर रही है। TEDBF का पहला प्रोटोटाइप 2026 के आसपास तैयार होने की संभावना है और इसका उत्पादन 2032 तक शुरू हो सकता है।

चूंकि TEDBF अभी भी एक दशक दूर है, इसलिए नौसेना विकल्प के तौर पर 26 लड़ाकू विमानों को खरीदने पर विचार कर रही है।



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