भोपाल गैस कांड में मुआवजा बढ़ाने की मांग SC ने की खारिज, अब नहीं मिलेगा 7800 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा

सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिए गए हलफनामे के मुताबिक गैस कांड पीड़ितों के लिए बीमा पॉलिसी तैयार नहीं करने के लिए भी केंद्र को फटकार लगाई और इसे घोर लापरवाही बताया।

bhopal gas leak

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने भोपाल गैस पीड़ितों के लिए यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन और उसकी सहायक फर्मों से अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की मांग की थी।

केंद्र सरकार ने 2010 में क्यूरेटिव पिटीशन के जरिये डाउ कैमिकल्स से 7800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की अपील की थी जो गैस पीड़ितों को दिए जाने थे।

केंद्र सरकार ने इस राशि की मांग यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन को खरीदने वाली फर्म ​​​​​​डाउ केमिकल्स से की थी। गैस कांड के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर (715 करोड़ रुपये) का मुआवजा दिया था।

केंद्र सरकार की क्यूरेटिव पिटीशन पर 12 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि पीड़ितों को अधर में नहीं छोड़ सकते।

जनवरी में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 1989 में एक लाख से ज्यादा पीड़ितों को ध्यान में रखकर हर्जाना तय किया था, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, गैस पीड़ितों की संख्या ज्यादा हो चुकी है। ऐसे में हर्जाना भी बढ़ना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने कहा कि केस दोबारा खोलने पर पीड़ितों की मुश्किलें बढ़ेंगी।

सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन पर और ज्यादा मुआवजे का बोझ नहीं डाला जा सकता। पीड़ितों को नुकसान की तुलना में करीब 6 गुना ज्यादा मुआवजा दिया जा चुका है।

इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि 2004 में समाप्त हुई कार्यवाही में यह माना गया था कि मुआवजा राशि काफी है जिसके मुताबिक दावेदारों को उचित मुआवजे से ज्यादा का भुगतान किया जा चुका है।

कोर्ट का कहना था कि अदालत इस बात से निराश है कि सरकार ने त्रासदी के दो दशक तक इस पर ध्यान नहीं दिया और अब इस मुद्दे को उठाने का कोई औचित्य नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिए गए हलफनामे के मुताबिक गैस कांड पीड़ितों के लिए बीमा पॉलिसी तैयार नहीं करने के लिए भी केंद्र को फटकार लगाई और इसे घोर लापरवाही बताया।

दूसरी तरफ, भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा के मुताबिक,

यूनियन कर्बाइड को इसकी जानकारी थी कि गैस रिसाव की वजह से स्थायी नुकसान होगा। सरकार से भी यह बात छुपाई गई थी।

गैस पीड़ित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव के मुताबिक,

1997 में मृत्यु के दावों के रजिस्ट्रेशन को रोकने के बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट को बता रही है कि आपदा से केवल 5,295 लोग मारे गए। आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 1997 के बाद से आपदा के कारण होने वाली बीमारियों से हजारों लोग मरते रहे हैं। मौतों का असली आंकड़ा 25 हजार से ज्यादा है।

बता दें कि सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, 1984 में 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने के 610 नंबर के टैंक में खतरनाक मिथाइल आइसोसायनाइड रसायन था। टैंक में पानी पहुंच गया।

तापमान 200 डिग्री तक पहुंच गया। धमाके के साथ टैंक का सेफ्टी वॉल्व उड़ गया। उस समय 42 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ था और इस औद्योगिक हादसे में 3700 लोग मारे गए थे।

First Published on: March 14, 2023 2:41 PM