आज की वार्ता भी बेनतीजा समाप्त, 9 दिसंबर अगली तारीख, 8 को भारत बंद का ऐलान


किसानों ने कहा कि उनके पास एक साल का रशद है। किसानों ने कहा कि-हम कई दिनों से सड़कों पर हैं और हमारे पास साल भर का राशन हैं। यदि सरकार यही चाहती हैं कि हम सड़कों पर रहें तो हमें कोई दिक्कत नहीं , हम हिंसा का रास्ता नहीं अपनाएंगे, आपके गुप्तचर एजेंसियां आपको बता देंगी  कि हम धरना स्थल पर क्या कर रहे हैं। 


नित्यानंद गायेन
बड़ी बात Updated On :

मोदी सरकार के नये तीन कृषि विधेयकों पर आज पांचवी दौर की वार्ता भी बेनतीजा ख़त्म हो गयी। सरकार ने 9 को अगली बैठक के लिए प्रस्ताव दिया है। केन्द्रीय कृषि मंत्री वही पुराना राग अलाप रहे हैं।

आज की बैठक के बाद ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हन्नान मोल्ला ने कहा – हमने बैठक के आरम्भ में ही कह दिया था कि हमारी मांग है कि ये कानून वापस लिए जाएं, हम संशोधन नहीं चाहते। हमें 9 को अगली बैठक की पेशकस की। लगता है सरकार ये कानून वापस लेने के मूड में नहीं है।

दोपहर दो बजे से कानूनों पर बीच का रास्ता निकालने के लिए 40 किसान संगठनों के नेता और सरकार के बीच पांचवें दौर बैठक शुरू हुई। बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल मौजूद रहे।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश तिकैते ने कहा कि सरकार ड्राफ्ट बनाकर हमें देगी और यह भी कहा गया कि राज्यों के साथ भी एमएसपी  पर चर्चा करेगी।

आज केंद्र के साथ पांचवें दौर की वार्ता के दिन भी किसानों ने सरकार का खाना नहीं खाया। किसानों अपने साथ लाये भोजन ही आपस में बाँट कर खाए। याद हों कि यही नज़ारा पिछली बार भी हुआ था। किसानों ने सरकारी खाना तो क्या चाय तक नहीं पी थी।

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आज दिन में  ही किसानों ने साफ़ शब्दों में सरकार को कह दिया था कि वे कॉर्पोरेट खेती नहीं करना चाहते। क्योंकि इससे फायदा केवल सरकार को है।

किसानों ने कहा कि उनके पास एक साल का रशद है। किसानों ने कहा कि-हम कई दिनों से सड़कों पर हैं और हमारे पास साल भर का राशन हैं। यदि सरकार यही चाहती हैं कि हम सड़कों पर रहें तो हमें कोई दिक्कत नहीं , हम हिंसा का रास्ता नहीं अपनाएंगे, आपके गुप्तचर एजेंसियां आपको बता देंगी  कि हम धरना स्थल पर क्या कर रहे हैं।

आज दिन भर पूरे देश में मोदी सरकार के नये कृषि कानूनों के खिलाफ धरना पर-प्रदर्शन और पुतला दहन हुआ। हर राज्य से अडानी, अम्बानी और मोदी सरकार के पुतले जलाये जाने की ख़बरें आती रहीं। जुलूस निकले गये।

बता दें कि आज की बैठक शुरू होने के वक्त केन्द्रीय मंत्री रामदास आठवले ने फिर केंद्र सरकार और बीजेपी की लाइन को दोहराते हुए कहा कि, किसानों का गलतफहमी में आंदोलन करना सही नहीं है, ये कानून किसानों के हित में हैं। जानबूझकर विपक्ष किसानों को भटका रहा है, सरकार बातचीत कर रही है और कोई न कोई मार्ग निकलेगा।

इधर, पंजाबी अभिनेता और गायक दिलजीत दोसांझ आज किसानों को समर्थन देने सिंधु बॉर्डर पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि, ट्विटर पर चीजों को घुमाया जाता है, मुद्दों को ना भटकाया जाए। हाथ जोड़कर विनती करता हूं, सरकार से भी गुज़ारिश है कि हमारे किसान भाइयों की मांगों को मान ले। यहां सब शांतिपूर्ण तरीके से बैठे हैं कोई खून-खराबा नहीं हो रहा है।

वहीं, आज बिलासपुर, उत्तराखंड से आए किसान गाजीपुर बॉर्डर (यूपी-दिल्ली बॉर्डर) पहुंचकर, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।

वहीं, ग्रेटर नोएडा में पुलिस ने कुछ किसान प्रदर्शनकारियों को यमुना एक्सप्रेसवे पर हिरासत में लिया। किसान प्रदर्शनकारी पुलिस बैरिकेड तोड़कर नोएडा से दिल्ली जा रहे थे।

 

इधर,पंजाब, जालंधर से किसान दिल्ली में कृषि क़ानूनों के खिलाफ विरोध कर रहे किसानों के लिए खाने-पीने की चीजें ले जा रहे हैं। एक किसान प्रदर्शनकारी ने कहा,”कुछ लोग पहले से वहां गए हुए हैं, हम उनके लिए राशन ले जा रहे हैं। जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाएंगी तब तक संघर्ष जारी रहेगा।”

जमूरी किसान सभा के महासचिव ने कहा कि कनाडा की संसद में पंजाबी सांसदों ने किसान आंदोलन की चर्चा की, बाद में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार को पत्र लिखा-किसानों की मांगें जायज़ हैं, इनको मानना चाहिए। कनाडा की संसद में अगर इसकी चर्चा हो सकती है तो भारत की संसद में चर्चा होने में क्या मुश्किल है?



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