ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी कर घिरे मंत्री विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट की फटकार: कहा – ‘हमारे धैर्य की परीक्षा मत लें’


ऑपरेशन सिंदूर पर बयान देकर घिरे मंत्री विजय शाह की माफी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की। कोर्ट ने कहा- यह सेना के सम्मान से जुड़ा गंभीर मामला है।


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बड़ी बात Updated On :

ऑपरेशन सिंदूर की मीडिया ब्रीफिंग करने वाली भारतीय सेना की तेजतर्रार अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से फटकार मिली है। सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी माफी को “निष्ठाहीन” करार देते हुए अस्वीकार कर दिया।

 सुप्रीम कोर्ट सख्त: “यह राजनीतिक विवाद नहीं, सम्मान का मामला है”

जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने साफ शब्दों में कहा कि “यह सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि देश की एक महिला सैन्य अधिकारी के सम्मान और आत्मगौरव से जुड़ा गंभीर मामला है। इस पर न्यायपालिका को संवेदनशीलता से कार्रवाई करनी होगी।”

पीठ ने मंत्री विजय शाह की ओर से दाखिल माफीनामे को खारिज करते हुए कहा,

“आपका माफीनामा न तो सच्चे मन से है और न ही उसमें जनभावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोई स्पष्ट स्वीकारोक्ति है। आप हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं।”

 “मंत्री हैं, जिम्मेदारी समझिए”: कोर्ट की तीखी टिप्पणी

कोर्ट ने इस पूरे मामले को केवल बयानबाजी से ऊपर मानते हुए कहा कि एक सत्तारूढ़ मंत्री का ऐसा बयान न केवल सेना के अनुशासन पर चोट करता है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है। जस्टिस सूर्यकांत ने शाह से सवाल किया,

“आपने सार्वजनिक रूप से माफी कहां मांगी है? वीडियो में केवल औपचारिक बातें हैं। क्या आपने आत्मचिंतन किया कि आपकी सजा क्या होनी चाहिए?”

एसआईटी को जांच पूरी करने का आदेश, अगली सुनवाई 18 अगस्त को

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच दल (SIT) को 13 अगस्त तक पूरी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह केवल “राजनीतिक बवाल” नहीं है, बल्कि सेना के एक प्रतिष्ठित अधिकारी की गरिमा से जुड़ा संवेदनशील मसला है।

विजय शाह, जिन्होंने पहले हलफनामा देकर माफी की बात कही थी, ने अब तक कोई भी सार्वजनिक मंच पर माफी नहीं मांगी है। इस पर अदालत ने उनकी मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि “सार्वजनिक जीवन में रहने वालों को अधिक ज़िम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए।”



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