
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री कुँवर विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ दिए गए विवादित बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए गिरफ़्तारी पर रोक (Stay) बरकरार रखी है। साथ ही कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में इस मामले में चल रही सभी कार्यवाहियों को बंद करने का आदेश दिया है।
क्या कहा था विजय शाह ने?
दरअसल, विजय शाह ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में आतंकवाद पर बोलते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर कहा था —
“जिन्होंने हमारी बेटियों का सिंदूर उजाड़ा… हमने उन्हीं की बहन को भेज कर उनकी ऐसी की तैसी करवाई।”
शाह का यह बयान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सन्दर्भ में था, जिसमें भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की थी। कर्नल कुरैशी उस ऑपरेशन में प्रमुख भूमिका निभा रही थीं और मीडिया ब्रीफिंग्स में सेना का चेहरा थीं।
इस बयान को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 14 मई को FIR दर्ज करने का आदेश दिया, और शाह के खिलाफ BNS की धाराएं 152, 196(1)(b) और 197(1)(c) के तहत मामला दर्ज हुआ।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ?
28 मई को हुई सुनवाई में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने साफ कहा कि:
- विजय शाह की गिरफ्तारी पर पहले से लगी रोक जारी रहेगी।
- MP हाईकोर्ट में इस मामले में कोई भी कार्यवाही अब नहीं चलेगी।
- जांच की निगरानी एक विशेष जांच दल (SIT) करेगा, जिसमें तीन सीनियर IPS अधिकारी शामिल हैं जो मध्यप्रदेश से बाहर के हैं।
SIT की रिपोर्ट और जांच की स्थिति
डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल, भोपाल द्वारा कोर्ट में दाखिल की गई स्थिति रिपोर्ट में बताया गया कि:
- SIT ने 21 मई को घटनास्थल पर जाकर जांच की।
- कुछ मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं और गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।
- जांच अभी शुरुआती स्तर पर है, इसलिए थोड़ा और समय मांगा गया है।
कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए SIT को कहा है कि अगली स्थिति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।
माफ़ी को कोर्ट ने बताया ‘असंगत’
गौरतलब है कि FIR दर्ज होने के बाद विजय शाह ने 14 मई की रात अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक माफ़ी वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्होंने कर्नल कुरैशी को ‘राष्ट्र की बहन’ कहा था। लेकिन कोर्ट ने इस माफ़ी को “असंगत, असंवेदनशील और दिखावटी” बताते हुए यह टिप्पणी की कि शाह को आत्मचिंतन करना चाहिए कि वे अपनी गलती की भरपाई कैसे करेंगे।
यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना में एक प्रतिष्ठित अधिकारी हैं और हालिया सैन्य अभियान में उनकी भूमिका बेहद अहम रही है। ऐसे में किसी मंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से की गई टिप्पणी सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सेना की गरिमा और महिलाओं की भूमिका पर भी सवाल खड़े करती है।
यह मामला सिर्फ एक बयान से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह राजनीति, सेना और सार्वजनिक मर्यादा के बीच की रेखाओं की गंभीरता को भी रेखांकित करता है।