
मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह के विवादित बयान को लेकर चल रहे मामले में 28 मई को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने जहां शाह की गिरफ्तारी पर अंतरिम राहत जारी रखने का आदेश दिया, वहीं मामले की अगली सुनवाई जुलाई के पहले सप्ताह में करने का निर्णय दिया। इस सुनवाई में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) की रिपोर्ट और उसके कामकाज पर भी अदालत में कई सवाल उठे।
क्या है पूरा मामला?
मंत्री विजय शाह ने 11 मई को इंदौर जिले के महू के रायकुंडा गांव में ‘ऑपरेशन सिंधूर’ को लेकर एक विवादास्पद टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि, “उन्होंने कपड़े उतार-उतारकर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी जैसी ही तेज़ी से उनके घर भेजा।” इस बयान को लेकर मीडिया और राजनीतिक हलकों में भारी बवाल मचा।
शाह की यह टिप्पणी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर थी, जिन्हें ‘ऑपरेशन सिंधूर’ के बाद सम्मानित किया गया था। कांग्रेस ने इस बयान को महिला अपमान बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
SIT बनी, पर मंत्री से पूछताछ नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को तीन सदस्यीय SIT बनाने का आदेश दिया, जिसमें IG प्रमोद वर्मा, DIG कल्याण चक्रवर्ती और महिला SP वाहिनी सिंह शामिल हैं। टीम ने 21 मई को मौके पर जाकर जांच की और कुछ सबूत इकट्ठा किए, लेकिन अब तक मंत्री विजय शाह से कोई औपचारिक पूछताछ नहीं की गई।
सूत्रों के मुताबिक, शाह का विवादित बयान वीडियो में रिकॉर्ड है और वह खुद तीन बार सार्वजनिक तौर पर माफी मांग चुके हैं। इसके बावजूद SIT ने उनसे कोई बयान दर्ज नहीं किया है।
वीडियो भेजा ऐसी लैब में, जहां जांच ही नहीं होती
दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक SIT ने वीडियो को भोपाल स्थित MP Forensic Science Lab (MPFSL) भेजा, लेकिन लैब ने इसे यह कहकर लौटा दिया कि “यहां केवल वॉइस मैच की सुविधा है, वीडियो की प्रामाणिकता की जांच संभव नहीं है।” इस पर कोर्ट में सवाल उठे कि जब राज्य में कोई सरकारी लैब वीडियो जांच नहीं कर सकती तो SIT ने वहीं क्यों भेजा?
वरिष्ठ वकील वरुण ठाकुर ने कोर्ट में कहा, “SIT की इस कार्यशैली से जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।”
शाह ने तीन बार मांगी माफी
मंत्री शाह अपने बयान को लेकर पहले ही मीडिया में, फिर एक वीडियो जारी कर और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले तीसरी बार माफी मांग चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनका बयान भावनाओं में बहकर दिया गया था और उनका किसी का अपमान करने का इरादा नहीं था।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि जांच शुरुआती चरण में है। SIT ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है, लेकिन समय मांगा है। कोर्ट ने हाईकोर्ट से अपील की है कि वह इस मामले की समानांतर सुनवाई न करे।
SIT की जांच पर जहां कोर्ट ने सख्त नजर रखी है, वहीं विपक्ष लगातार सवाल खड़े कर रहा है कि क्या यह जांच निष्पक्ष और प्रभावी हो रही है। मंत्री से अब तक पूछताछ न होना और वीडियो जांच के लिए सक्षम लैब न होना, इस पूरे मामले की गंभीरता को और बढ़ाता है।