पुरानी पेंशन के लिए होने वाले प्रदर्शनों में शामिल होने को लेकर कर्मचारियों को केंद्र सरकार की चेतावनी


बीते सप्ताह से महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारियों ने इसे लेकर हड़ताल की थी, जहां राज्य के करीब 17 लाख कर्मचारी ओपीएस की बहाली की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे।


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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग को लेकर हड़ताल या विरोध में भाग लेने के खिलाफ चेतावनी दी है।

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने सोमवार को सभी मंत्रालयों को भेजे पत्र में कहा, ‘यह निर्देश दिया जाता है कि ‘पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए संयुक्त फोरम’ के बैनर तले नेशनल जॉइंट काउंसिल ऑफ एक्शन ने विशेष रूप से ओपीएस पर 21 मार्च को देश भर में जिला-स्तरीय रैलियों का आयोजन करने की योजना बनाई है।’

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी निर्देश सरकारी कर्मचारियों को किसी भी प्रकार की हड़ताल में भाग लेने से रोकते हैं, जिसमें सामूहिक आकस्मिक अवकाश, जानबूझकर धीमी गति से काम करना या धरना आदि शामिल हैं या कोई भी कार्रवाई जो सीसीएस (आचरण) नियम, 1964 के नियम 7 के उल्लंघन में किसी भी प्रकार की हड़ताल को बढ़ावा देती है।

इसके अलावा, मौलिक नियमों के नियम 17 (1) के प्रावधान के अनुसार, किसी कर्मचारी के बिना किसी सूचना के ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के लिए कोई वेतन और भत्ते स्वीकार्य नहीं हैं।’

आगे कहा गया, ‘इसलिए, आपके मंत्रालय/विभागों के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों को इस विभाग द्वारा जारी आचरण नियमों और माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मान्य अन्य विनियमों के तहत उपरोक्त निर्देशों के बारे में सूचित किया जा सकता है। उन्हें विरोध प्रदर्शन सहित किसी भी रूप में हड़ताल से रोका जा सकता है।

प्रस्तावित विरोध/हड़ताल की अवधि के दौरान आवेदन करने पर कर्मचारियों को आकस्मिक अवकाश या अन्य प्रकार की छुट्टी स्वीकृत न करने के निर्देश जारी किए जा सकते हैं और यह सुनिश्चित किया जाए कि इच्छुक कर्मचारियों को कार्यालय परिसर में बाधा मुक्त प्रवेश की अनुमति दी जाए।’

पत्र में कहा गया है, ‘इस उद्देश्य के लिए, संयुक्त सचिव (प्रशासन) को सुरक्षाकर्मियों के साथ कोआर्डिनेशन का काम सौंपा जा सकता है. यदि कर्मचारी धरना/विरोध/हड़ताल पर जाते हैं, तो प्रस्तावित धरना/विरोध हड़ताल में भाग लेने वाले कर्मचारियों की संख्या को बताते हुए एक रिपोर्ट इस विभाग को उस दिन शाम तक भेजी जा सकती है।’

अख़बार के मुताबिक, आदेश पर कार्रवाई करते हुए पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने अपने कर्मचारियों को ओपीएस की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन में भाग लेने पर कार्रवाई की चेतावनी दी।

विभाग द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि यदि कोई कर्मचारी हड़ताल/विरोध में भाग लेता है, तो उसे उचित अनुशासनात्मक/दंडात्मक कार्रवाई के लिए सक्षम प्राधिकारी के सामने रखा जाएगा।

ज्ञात हो कि पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन मिलती है। इसके तहत कर्मचारी को अंतिम वेतन की 50 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में मिलने का प्रावधान है। हालांकि पेंशन की राशि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत अंशदायिता वाली होती है जो 2004 से प्रभाव में है।

साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने ओपीएस को बंद करने का फैसला करते हुए न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) की शुरुआत की थी।

एक अप्रैल, 2004 से केंद्र सरकार की सेवा (सशस्त्र बलों को छोड़कर) में शामिल होने वाले सभी नए कर्मचारियों पर लागू होने वाली यह योजना एक भागीदारी योजना है, जहां कर्मचारी सरकार के साथ मिल-जुलकर अपने वेतन से पेंशन कोष में योगदान करते हैं।

बीते सप्ताह से महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारियों ने इसे लेकर हड़ताल की थी, जहां राज्य के करीब 17 लाख कर्मचारी ओपीएस की बहाली की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे। इसमें शिक्षक, सरकारी अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ भी शामिल थे।

ख़बरों के अनुसार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ हुई बैठक में सरकार द्वारा ओपीएस के समान लाभ देने के आश्वासन के बाद कर्मचारियों ने सोमवार को हड़ताल वापस ली है।

इससे पहले फरवरी महीने में हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों ने ओपीएस की बहाली के लिए प्रदर्शन किया था। मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर पहले ही ओपीएस की बहाली से इनकार कर चुके हैं।

राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और ओपीएस एक बड़े मुद्दे के तौर पर उभर सकता है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, दोनों ही सत्ता में वापस आने पर ओपीएस को बहाल करने की बात कह चुकी हैं।

 

साभार: द वायर 



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