जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर के वकीलों के लिए ख़ुशख़बर, मांग पर लगी हाईकोर्ट की मुहर


हाईकोर्ट ने कहा है कि अब हाईकोर्ट में किसी भी केस की पैरवी के लिए स्थानीय वकील का वकालतनामा लगाना जरूरी होगा। ऐसा नहीं होने पर कोर्ट मामले पर सुनवाई नहीं करेगा


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जबलपुर। मध्यप्रदेश  हाईकोर्ट ने वकीलों को राहत देने वाला एक आदेश दिया है। हालांकि इससे राहत केवल उन्हीं वकीलों को मिलेगी जो हाईकोर्ट या इसकी बैंच वाले शहरों यानि ग्वालियर और इंदौर के रहने वाले हैं।

हाईकोर्ट ने कहा है कि अब हाईकोर्ट में किसी भी केस की पैरवी के लिए स्थानीय वकील का वकालतनामा लगाना जरूरी होगा। ऐसा नहीं होने पर कोर्ट मामले पर सुनवाई नहीं करेगा और केस को डिफाल्ट की श्रेणी में रखा जाएगा। वकील पिछले काफी समय से इस बारे में मांग कर रहे थे और इस बार हाईकोर्ट ने इसे मान लिया है।

हाईकोर्ट जबलपुर में है और इसकी बैंच इंदौर और ग्वालियर में हैं। ऐसे में इन तीनों बैंच के पास पूरे प्रदेश के मामले पहुंचते हैं। इस दौरान कई बार पक्षकार अपने वकीलों के द्वारा ही याचिकाएं दायर करते हैं और इन तीन शहरों के स्थानीय वकीलों को महत्व नहीं देते। स्थानीय वकीलों को रखने के लिए जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा आदेश जारी कर दिए गए हैं। जिसके बाद वकीलों ने खुशी जताई है।

कोरोना के चलते पिछले सात महीनों से न्यायिक मामलों की सुनवाई बंद रही है ऐसे में वकीलों की आर्थिक हालत भी खराब है। ऐसा माना जा रहा है कि अब कोर्ट के इस आदेश से स्थानीय वकीलों को लाभ मिलेगा। जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर के अभिभाषक संघों में बड़ी संख्या में वकीलों के पंजीयन है।



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