
मध्यप्रदेश में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलधार बारिश ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, सड़कों पर यातायात ठप है और कई निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं। इसी बीच बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ के प्रतिनिधि राज कुमार सिन्हा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर राज्य सरकार से जलवायु परिवर्तन के अनुकूल एक ठोस रणनीति तैयार करने की मांग की है।
प्रेस विज्ञप्ति में सिन्हा ने कहा कि “मध्यप्रदेश में भारी वर्षा की तीव्रता और आवृत्ति पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ रही है। जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम अत्यधिक अस्थिर हो चला है, और इसका सबसे बड़ा उदाहरण वर्तमान बारिश है जो रिकॉर्ड तोड़ रही है।”
मौसम विभाग के अनुसार, अब तक प्रदेश में औसतन 10.8 इंच बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो सीजन का करीब 30% है। मंडला में सर्वाधिक 58.8 इंच और सिवनी में 55.1 इंच वर्षा हुई है। बरगी और तवा डैम के जलस्तर में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है।
राज कुमार सिन्हा का कहना है कि “हमें इस बात पर गंभीरता से विचार करना होगा कि वर्षा का कितना हिस्सा चरम एक दिवसीय घटनाओं के रूप में गिर रहा है। यह न सिर्फ भविष्य में आपदाओं की पूर्व चेतावनी के लिए जरूरी है बल्कि नीति निर्धारण के लिए भी अहम है।”
विशेषज्ञों की मानें तो धरती का तापमान बढ़ने से वायुमंडल में अधिक नमी एकत्र हो रही है, जो भारी वर्षा का मुख्य कारण बन रही है। जब वातावरण में बहुत अधिक नमी मौजूद होती है और वायुदाब कम होता है, तो संघनन की प्रक्रिया तेजी से होती है, जिससे अचानक और तेज बारिश होती है।
सिन्हा ने आगाह किया कि सिर्फ मानसून की सामान्यता पर ध्यान देना पर्याप्त नहीं होगा, अब बारिश के वितरण, समय और तीव्रता पर भी निगरानी जरूरी है। “सूखा हो या बाढ़, दोनों चरम घटनाएं अब सामान्य होती जा रही हैं। हमें अपने जीवन, आजीविका और पारिस्थितिकी की रक्षा के लिए अनुकूलन की नीति अपनानी ही होगी।”
बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ ने सरकार से यह मांग की है कि देशभर में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए एक ठोस राष्ट्रीय रणनीति बनाई जाए जिससे बाढ़, भूस्खलन और कृषि हानि जैसी आपदाओं से निपटा जा सके। सिन्हा ने चेताया कि अगर अभी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में मानसून की अनिश्चितता और भयावह हो सकती है।