तीन साल से परीक्षाएं नहीं होने, मेडिकल घोटाले, नर्सिंग घोटाले जैसे विषयों पर नाराज़ प्रदेश में नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने मंगलवार को बड़ा प्रदर्शन किया। इस दौरान राजधानी की सड़कों पर सैंकड़ों छात्र सड़क पर उतर आए। यह प्रदर्शन एनएसयूआई मेडिकल विंग के संयोजक रवि परमार के नेतृत्व में किया गया। उनके नेतृत्व में छात्रों ने राजभवन तक मार्च करने के लिए निकले थे लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में रोक दिया और फिर ये छात्र रास्ते में ही धरने पर बैठ गए। इस दौरान कई थानों का पुलिसबल मौके पर मौजूद रहा।
इस प्रदर्शन में सामिल विद्यार्थियों ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग की लापरवाही और नर्सिंग घोटाले जैसी अनियमितताओं के चलते प्रदेश के नर्सिंग छात्र परेशान हैं और उनका भविष्य भी संकट में है। इन छात्रों ने साल 2020 में नर्सिंग में एडमिशन लिया था लेकिन अब तक पहले ही साल में हैं क्योंकि नर्सिंग काउंसिल और मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने इस दौरान लापरवाही की।
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एनएसयूआई के संयोजक छात्र नेता रवि परमार ने बताया कि नर्सिंग छात्र छात्राएं अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं और मानसिक रूप से परेशान हैं। परमार ने कहा कि उन्हें गलत कदम उठाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ऐसे में अगर कोई भी छात्र आत्मघाती कदम उठाता हैं तो इसके लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी।
परमार ने हाईकोर्ट द्वारा परिक्षाओं पर रोक लगाने के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हम माननीय उच्च न्यायालय से आग्रह करते हैं कि इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। परिक्षा पर रोक लगाना हल नहीं है। यह हजारों स्टूडेंट्स के भविष्य का सवाल है। शिक्षा माफियाओं की गलती का सजा बच्चों को क्यों मिले? उल्लेखनीय है कि इन छात्रों की ओर से पिछले दिनों एनएसयूआई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि छात्र अगर परीक्षा की मांग करते हैं तो उनपर मुकदमें दर्ज करवाए जाते हैं। संगठन ने पीएम से अपील की थी कि इन इस सत्र को ज़ीरों ईयर न घोषित किया जाए वर्ना इन छात्रों का बहुत नुकसान होगा और रुकी हुईं परीक्षाएं और पुरानी परीक्षाओं के परिणाम जल्द से जल्द जारी किए जाएं।


















