पटवारी का खेल, जीवित किसान को मृत बताकर फर्जी लोगों के नाम कर दी जमीन


सारा खेल कागज़ का, पटवारी ने जीवित को मृत बनाया तो फिर तहसीलदार ने कागज में ही मृत व्यक्ति को जीवित घोषित कर की भूल सुधार


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
उनकी बात Published On :

जमीन जायदाद की लिखा पढ़ी के मामले में पटवारी की कलम एक विधाता की तरह है। जिसका लिखा कोई मिटा नहीं सकता अगर उसने किसी जीवित व्यक्ति की मौत कागज में मुकर्रर कर दी तो जीवित व्यक्ति चिल्ला चिल्ला कर भी कहे कि वह जीवित है तब भी कोई मानने वाला नहीं है, विशेष तौर पर प्रशासनिक व्यवस्थाएं। नरसिंहपुर जिले के साईंखेड़ा तहसील के अंतर्गत ग्राम पिठवानी में पटवारी ने एक किसान को जीते जी कागज में मृत घोषित कर दिया और फर्जी वारिसों के नाम उसकी जमीन दर्ज कर दी।

खास बात यह है कि पंचनामा में भी जीवित व्यक्ति की मौत की पुष्टि कर दी गई। मौत की तारीख के 4 साल भी गुजर गए। इसके बाद इसी कथित मृत व्यक्ति को तहसीलदार ने जीवित घोषित कर दिया और पटवारी की बड़ी गलती को भी कहा कि त्रुटि पूर्ण कहकर पल्ला झाड़ लिया बजाय किसी ठोस कार्यवाही के।

मामले का खुलासा साईंखेड़ा तहसीलदार की दूसरी नोट शीट से चर्चाओं में आया। ग्राम पिठवानी में वर्ष 2022-23 में 9 मार्च 2023 को तहसीलदार साईंखेड़ा ने एक नोट शीट जारी की जिसमें कहा कि पटवारी के द्वारा पेश फौती नामांतरण प्रतिवेदन के आधार पर 1.243 हेक्टेयर जमीन जो लखनलाल पिता चैतू कौरव के नाम से राजस्व अभिलेख में दर्ज है। इस भूमि पर दर्ज खातेदार लखनलाल कौरव का स्वर्गवास 7 अगस्त 2019 को हो गया है। जिसमें लखनलाल का नाम विलोपित कर वैध वारिस केहर सिंह, सियाराम , भवन लाल के नाम दर्ज करने का आदेश पारित किया जाता है।

इसके बाद 30 जनवरी 2024 को साईंखेड़ा तहसील की तरफ़ से एक और नई नोट शीट से खुलासा हुआ कि मौजा पिठवानी में लखनलाल आत्मज चैतु की फौती नामांतरण की जो कार्रवाई हुई है, वह त्रुटि पूर्ण है । लखनलाल जीवित है वास्तव में लखन लाल आत्मज चैतु के भाई कढ़ोरीलाल की मौत हुई है। पटवारी की एक गलती यहां तक तो एक थी दूसरी यह भी कि लखन लाल की जमीन कढ़ोरी लाल के बेटों के नाम दर्ज कर दी गई।  केहरसिंह, सियाराम, भवनलाल को लखनलाल का वैध वारिस बतला दिया गया।

कोटवार, सरपंच ने भी कर दी मौत की पुष्टि 

मिलाजुला खेल यह है कि पटवारी ने अपने साथ ग्राम कोटवार, पिठवानी दहलवाड़ा ग्राम पंचायत सरपंच को भी साथ में लिया । पंचनामा बनवाया  उसमें खातेदार लखन कौरव की फौत होने की पुष्टि करवा दी जबकि खातेदार वर्तमान में अभी जीवित है ।

अधिकारी भी बड़ी गलती को मामूली त्रुटि बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं ।इसका उदाहरण भी है कि ऑर्डर शीट में लिखा कि मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान के तहत जीवित व्यक्ति का फौती नामांतरण त्रुटि वश होना पाया गया।

मौका पंचनामा में सरपंच ,कोटवार से अन्य व्यक्तियों के हस्ताक्षर हैं । क्योंकि यह त्रुटि जन सेवा अभियान के दौरान हुई किंतु पटवारी द्वारा विधिवत तस्दीक जाना परिलक्षित होता है इसलिए तहसीलदार को न्याय हित में पटवारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने आदेशित किया है।

ऐसे में समझना मुश्किल नहीं कि अपने अस्तित्व के लिए भी किसान किस तरह कर्मचारी और अधिकारी पर निर्भर है। एक गलत मंशा या गलती उसे जीते जी मार सकती है।

 



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