सरकार के रवैये से नाराज़ ज़मीनी कर्मी, संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल का तीसरा दिन

पहले से ही टीकाकरण की चुनौतियां थीं और अब इसके बाद यह मुश्किलें और बढ़ रहीं हैं। कई जिलों में इसका असर साफ़ नज़र आ रहा है।

भोपाल। प्रदेश में इन दिनों संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल जारी है। कोरोना काल के दौरान यह हड़ताल काफ़ी खतरनाक साबित हो रही है। इस बीच शासन के रवैये के चलते हड़ताल में शामिल कर्मचारियों की नाराज़गी लगातार बढ़ती जा रही है। दरअसल तीसरे दिन बुधवार को बचे संविदा स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल हो गए हैं।

इससे एक दिन पहले मंगलवार शाम को स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने हड़ताली कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल से हड़ताल वापस लेने की बात कही थी। एसीएस सुलेमान ने कहा था कि सेवाएं प्रभावित हुईं तो उन्हें मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ेगी।

इसके बाद जैसे कर्मचारी और नाराज़ हो गए और असर ये हुआ कि बुधवार को हड़ताल कुछ और प्रभावी नज़र आई। एसीएस की चेतावनी का असर ये हुआ कि कर्मचारियों तक ये संदेश गया कि शासन उनकी पीड़ा की ओर ध्यान न देकर कार्रवाई की चेतावनी दे रहा है। इसके अलावा शासन पहले से दबाव में था सो कोई कार्रवाई भी नहीं की गई।

इस हड़ताल के कारण प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर खासा बुरा असर पड़ा है। पहले से ही टीकाकरण की चुनौतियां थीं और अब इसके बाद यह मुश्किलें और बढ़ रहीं हैं। कई जिलों में इसका असर साफ़ नज़र आ रहा है। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं को और भी ज्यादा नुकसान हो रहा है।

संविदा स्वास्थ्यकर्मी संघ के प्रांतीय प्रवक्ता राकेश मिश्रा ने अपनी हड़ताल के बारे बताया कि संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की मंशा मरीजों को परेशान करने की नहीं है लेकिन सरकार के पास नई योजनाओं को मंजूरी देने, उनके लिए बजट खर्च करने और दूसरे कामों के लिए समय और राशि दोनों हैं लेकिन मैदान में काम करने, बीमारियों को नियंत्रित करने में जुटे रहने और जान गंवाने वाले संविंदा कर्मियों के लिए अपनी ही नीति का पालन करवाने का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बार संविदा स्वास्थ्यकर्मी पीछे नहीं हटेंगे और अगर सरकार कार्रवाई करना चाहती है तो कर दे। 

ये हैं प्रमुख मांगें…

इन संविदाकर्मियों की मांगों में प्रमुख रुप से वेतन के मुद्दे शामिल हैं। संविदाकर्मियों की मांग है कि अब संविदा नीति 2018 लागू  की जाए ताकि स्वास्थ्य कर्मियों को नियमित पदों का 90 फीसद वेतन मिले। इसके अलावा शासन की भर्तियों में संविदाकर्मियों को बीस प्रतिशत आरक्षण देने और सपोर्ट स्टॉफ की सेवाएं आउटसोर्स से हटाकर संविदा पर लेने की मांगें शामिल हैं।

First Published on: May 26, 2021 7:25 PM