किसानों के समर्थन में जाने-माने कृषि वैज्ञानिक वरिंदर पाल सिंह ने केंद्रीय मंत्री के हाथों सम्मान लेने से किया इंकार


वरिंदर पाल सिंह को उनके बेहतरीन कार्यों को देखते हुए फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने उन्हें गोल्डेन जुबली अवार्ड से सम्मानित करने की बात कही थी। सोमवार को एक समारोह में उन्हें यह पुरस्कार दिया जाना था। अवॉर्ड लेने के लिए उन्हें मंच पर बुलाया गया। उन्होंने मंच से सभी को इसके लिए धन्यवाद दिया और किसानों को समर्थन देते हुए अवॉर्ड लेने के इनकार कर दिया।


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नई दिल्ली। मोदी सरकार के तीन नये कृषि बिल के खिलाफ आंदोलित किसानों के समर्थन में जहां  पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा पद्म विभूषण लौटाये जाने के बाद शिरोमणि अकाली दल  (डेमोक्रेटिक)  के नेता  सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी पद्म भूषण सम्मान वापस करने का एलान किया, वहीं 30 से अधिक खिलाडियों ने अर्जुन अवॉर्ड सहित अपने कई खेल अवॉर्ड वापस कर दिए उसके बाद भी अवार्ड वापसी का यह सिलसिला अब तक जारी है। अब कृषि वैज्ञानिक ने भी किसानों का समर्थन करते हुए केंद्रीय मंत्री से अवार्ड लेने से इनकार कर दिया।लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के मिट्टी वैज्ञानिक वरींद्र पाल सिंह ने केंद्रीय मंत्री के हाथों अवार्ड लेने से इनकार कर दिया है।

वरिंदर पाल सिंह को उनके बेहतरीन कार्यों को देखते हुए फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने उन्हें गोल्डेन जुबली अवार्ड से सम्मानित करने की बात कही थी। सोमवार को एक समारोह में उन्हें यह पुरस्कार दिया जाना था। अवॉर्ड लेने के लिए उन्हें मंच पर बुलाया गया। उन्होंने मंच से सभी को इसके लिए धन्यवाद दिया और किसानों को समर्थन देते हुए अवॉर्ड लेने के इनकार कर दिया।

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मंच पर पहुंचते ही उन्होंने सबसे पहले एसोसिएशन और मंत्री गौड़ा का आभार व्यक्त किया। इसके बाद अवॉर्ड लेने से इनकार कर माफी मांगते हुए उन्होंने कहा कि इस समय देश में संकट की स्थिति है, देश का किसान सड़कों पर है। इसलिए मेरा जमीर मुझे इजाजत नहीं देता कि मैं यह अवार्ड लूं। मुझे आशा है कि हम देश के लिए एकजुट होकर काम करेंगे। सरकार को किसानों की बात को जरूर सुनना चाहिए। मैंने जो यह काम किया है, वह किसानों के लिए किया है। यह अवार्ड लेकर मुझे लगता है, मैं कुछ गलती करूंगा। इस अवॉर्ड के लिए मैं केंद्रीय मंत्री और एफएआई का आभार व्यक्त करता हूं।

वरिंदर पाल सिंह की गिनती देश के बड़े कृषि वैज्ञानिकों में होती है। उन्होंने एक ऐसी तकनीक को विकसित किया है, जिससे खेत में कम यूरिया डालकर अच्छी फसल पैदा की जा सकती है। उनकी इस तकनीक के चलते पंजाब को एक वर्ष में 750 करोड़ की बचत होगी।

 

 

 

 



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