मध्यप्रदेश में कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ सर्मथन जुटा रहे टिकैत, सिहोरा में महापंचायत


टिकैत ने कहा कि सिहोरा जबलपुर से गांव-गांव आंदोलन होना चाहिए जब तक गांव दिल्ली के आंदोलन से नहीं जुड़ेंगे तब तक हमें अपना हक नहीं मिल सकेगा।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
बड़ी बात Updated On :

सिहोरा/जबलपुर। किसान आंदोलन के तहत कृषि कानूनों के विरोध में अब मध्यप्रदेश में सर्मथन जुटाया जा रहा है। इसी कड़ी में संयुक्त किसान मोर्चा के झंडे तले  जबलपुर के नज़दीक सिहोरा कृषि मंडी में सोमवार को किसान महापंचायत हुई। इस पंचायत में काफी संख्या में किसान एक साथ नज़र आए।

किसान नेता चौधरी राकेश सिंह टिकैत यहां कुछ देर से पहुंचे लेकिन उन्हें देखने के लिए भीड़ बनी रही। टिकैत के आने पर उनके साथ तस्वीरें खिचवाने के लिए लोगों की होड़ लग गई। इस दौरान मंच पर कई बार अव्यवस्था हुई जिसे संभालना संचालकों के लिए मुश्किल साबित हो रहा था।

इससे पहले सिहोरा में किसानों की महापंचायत से पहले ही विवाद हो गया। जब रविवार देर रात किसानों के बैनर पोस्टर फाड़े गए। बताया जाता है कि इन पोस्टरों को भाजपा से जुड़े लोगों ने फाड़ा था।

टिकैत ने यहां किसानों को कृषि कानूनों के खिलाफ पुरजोर तरीके से आवाज़ उठाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि आज युवा अगर चुप हो गया तो जमीन चली जाएगी और सबकुछ बिक जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सरकार किसी पार्टी की तो है नहीं।

टिकैत ने कहा कि बीजेपी के जो लोग पोस्टर फाड़े हैं, उन्हें तो साथ देना चाहिए। उनके बड़े नेता कैद में हैं, उनको मुक्ति दिलाने का आंदोलन है। मुरली मनोहर जोशी जैसे व्यक्ति की अभिव्यक्ति पर ताला लगा दिया गया।

यह किसानों की विचारधारा है, जो बंद नहीं होगी। बंदूक के जोर से आंदोलन बंद नहीं होने वाला। किसान तय कर लें, वह अपनी फसल एमएसपी से कम पर नहीं बेचेगा। हम दिल्ली में संसद भवन में फसल बेचेंगे। आप अपने तहसील और जिला मुख्यालय में फसल बेचने ले जाएं।

उन्होंने कहा कि जबलपुर क्रांति का उद्गम स्थल रहा है। सिहोरा समाजवादी विचारधारा का क्षेत्र है। जबलपुर से ही सुभाष चंद्र बोस ने आंदोलन की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री रहे चंद्रशेखर ने भारत के हृदय स्थल से सिहोरा से ही अपनी बात की थी। ऐसी स्थिति में इसलिए इस क्षेत्र से भी आंदोलन की शुरुआत होनी चाहिए।

किसान नेता राकेश टिकैत ने तीनों कृषि बिलों को लेकर कहा कि तीनों बिलों की आत्मा काली है। जब कोरोना का समय था, किसान और आम नागरिक घर के अंदर कैद थे तब यह बिल लाए गए। उन्होंने कहा कि सिहोरा जबलपुर से गांव-गांव आंदोलन होना चाहिए जब तक गांव दिल्ली के आंदोलन से नहीं जुड़ेंगे तब तक हमें अपना हक नहीं मिल सकेगा।



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